PM Modi की मां के लिए हद से ज्यादा चाटुकारिता से नाराज हुए जैनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के निधन पर सबको दुख है, लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक ने चाटुकारिता की हद पार कर दी। जैन समाज हुआ नाराज।
कुमार अनिल
किसी के भी निधन पर दुख जताना, शोक में साथ खड़े होना हमारी परंपरा रही है। मृतकों के लिए स्वर्गीय शब्द का उपयोग किया जाता है। प्रधानमंत्री की मां हीराबेन के निधन पर हर दल, हर वर्ग के लोगों ने शोक जताया। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक समीर जैन ने चाटुकारिता की सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने अपने अखबार में लिखा- हीराबेन को निर्वाण प्राप्त हुआ। हर शब्द के अर्थ होते हैं। निर्वाण शब्द असाधारण शब्द है। इस शब्द का उपयोग करने पर जैन समाज ने गहरी आपत्ति जताई है।
पटना जैन संघ के अध्यक्ष प्रदीप जैन ने कहा कि टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक समीर जैन का आलेख बेहद दुखद है। निर्वाण शब्द का उपोयग केवल तीर्थंकरों के लिए होता है। यह परम स्थिति है, जहां साधारण आदमी नहीं पहुंच सकता।
Samir Jain, the low-profile head of the @timesofindia group, steps out of the shadows to pen a cringe-worthy panegyric for @narendramodi’s mother.
— churumuri (@churumuri) January 2, 2023
After the passing of their mother Indu, Jain Sr is embroiled in a battle with younger brother @vineetjaintimes over the TOI empire. pic.twitter.com/XY764qrNZj
पटना ओशो ध्यान केंद्र के स्वामी आनंद सुरेंद्र ने बताया कि निर्वाण की प्राप्ति केवल झान प्राप्त व्यक्ति को ही होती है। इसका अर्थ है जागृत अवस्था में शरीर छोड़ना। इस शब्द का उपयोग सभी तीर्थकरों और बुद्धों के लिए होता है। 24 तीर्थंकरों को लिए कहा जाता है। भगवान महावीर को पावापुरी में निर्वाण प्राप्त हुआ।
जाहिर है टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक समीर जैन ने अज्ञानता में में प्रधानमंत्री मोदी की मां के लिए इस शब्द का उपयोग नहीं किया है। वे खुद जैन हैं और निर्वाण शब्द की महत्ता से वाकिफ होंगे। यही नहीं, समीर जैन ने अपने आलेख में लिखा है कि प्रधानमंत्री की मां 100 वर्ष की उम्र के बावजूद अपना सारा कार्य खुद करती थीं, रोज समाचार भी सुनती थीं आदि-आदि। अगर इन्हीं गुणों के कारण निर्वाण कहा गया है, तब तो निर्वाण शब्द के साथ अनर्थ ही किया गया है।
स्पष्ट है टाइम्स ऑफ इंडिया के मालिक ने इस शब्द का उपयोग किसी निजी लाभ के लिए किया। प्रधानमंत्री मोदी ऐसी तारीफ पसंद करते हैं। संवैधानिक पदों पर रहते हुए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करने वाले भी हैं। जो तारीफ की हदें पार करता है, उसे पुरस्कृत किया जाता है और जो आलोचना करता है, उसके साथ क्या होता है, लोग जानते हैं। संभव है समीर जैन भी राज्य सभा का सदस्य बन जाएं, लेकिन उन्होंने गलत मिसाल पेश की। अखबार का काम है सजग नागरिक बनाना, सरकार की कमियां बताना, लेकिन आप जानते हैं आजकल उल्टा युग चल रहा है।
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