प्रशांत किशोर के जनसुराज यात्रा की जानिए सच्चाई

नौकरशाही डॉट काम के संपादक इर्शादुल हक ने पीके की यात्रा में शामिल लोगों व इनके 400 वेतनभोगी कर्मियों में कई से बात की। सच्चाई चौंकानेवाली है।

इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

आइए प्रशांत किशोर व उनकी जनसुराज यात्रा का कुछ फैक्ट्स देखें। यात्रा में शामिल लोगों और वेतनभोगी कर्मियों ने बताया कि यात्रा में आईपैक कंपनी के करीब 400 कर्मी हैं। सबसे निचले दर्जे के कर्मी का वेतन 19,500 रुपए हर महीना है। इन कर्मियों में आधे यूपी और पंजाब के हैं। 6 महीने से जारी इस यात्रा में शामिल कई लोगों और प्रशांत किशोर के 400 वेतनभोगी कर्मियों में से कई कर्मियों से सीधा तो कई से परोक्ष सम्पर्क साधा। सारे तन्ख्वाही मुलाज़िम हैं। अधिकतर एक जाति विशेष से। दिखावे के लिए कुछ पिछड़े व मुसलिम भी हैं।इनमें से ज़्यादातर अंदर से भाजपाई और बाहर से नॉन पोलिटिकल दिखते हैं।

यात्रा के दौरान जिस समुदाय के लोगों से सम्पर्क साधना हो, उस समुदाय का कर्मचारी फ्रंट पर रहता है। मुस्लिम इलाकों में मंच पर दाढ़ी-टोपी युक्त बुज़र्ग को जगह दी जाती है। पहले स्थानीय मुद्दों की पहचान की जाती है। कुछ लोक सरोकार के मुद्दे भी तय किए जाते हैं। अपराध पर पीके जब बोलते तो हैं तो मॉब लिंचिंग, मुसलमानों के खिलाफ भाजपा की ज़हरीली टिप्पणी पर एक शब्द नहीं बोलते। प्रशांत की आलोचना के निशाने पर भाजपा या मोदी कहीं नहीं होते। राष्ट्रीय मुद्दों पर समय-समय पर बोलते हैं, पर अडानी स्कैम पर भूल कर भी मुंह नहीं खोलते।

तमिलनाडु फेक वीडियो पर तो पीके का असली चेहरा ही उजागर हो गया। भाजपाई झूठ को प्रशांत किशोर ने अपनी जुबान दी, लेकिन बाद में अपना ट्वीट डिलीट करना पड़ा।

प्रशांत किशोर की आलोचना के मुद्दों की सूची की प्राथमिकता में तेजस्वी यादव (@yadavtejashwi) टॉप पर हैं। दूसरे नंबर पर @laluprasadrjd हैं। हालांकि लालू व तेजस्वी की आलोचना में भी प्राथमिकताएं टारगेट ऑडियंस के हिसाब से बदल जाती हैं। आलोचना सूची में तीसरे स्थान पर @NitishKumar बने रहते है। @BJP4India पर ज़ुबान बंद रखते हैं। लेकिन वह ये भी समझ रहे हैं कि आम जन उनके भाजपा प्रेम को समझ रहा है। पीके के साथ काम करने वालों में से एक ने बताया कि पहले पीके इन बात पर चिंतित हो जाते थे। लेकिन अब नहीं।

कुल मिला कर पीके को इस यात्रा से सिर्फ एक चीज़ हासिल हुई है- बिहार के लोगों के राजनीतिक रुझान का डेटा। यह डेटा वह चुनाव के समय भाजपा से पेशेवर बारगेनिंग के रूप में शेयर कर सकते हैं।

मो. वारिस सिद्दीकी ने लिखा-जब ये मेरे गांव आए थे तब मैं इनसे परसनली मिला था ,इनसे मिलकर ऐसा लगा जैसे इनका जनसुराज का मकसद ही है भाजपा की मदद करना।

मिठाई खानेवाले रेपिस्टों की बढ़ीं मुश्किलें, SC सुनवाई को तैयार

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427