अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने अतंरिम जमानत दे दी है। इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी प्रो. खान की गिरफ्तारी के मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। कहा कि प्रथम दृष्टि में प्रो. खान के मौविक अधिकारों का हनन दिखता है। आयोग ने हरियाणा के डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अशोका विवि के प्रो. महमूदाबाद को बुधवार को अतरिम जमानत दे दी। कोर्ट ने एक एसआईटी गठित करने का भी आदेश दिया, जो प्रोफेसर के फेसबुक पोस्ट की जांच करेगी। एसआईटी तीन सदस्यों की होगी, जिसमें एक महिला अधिकारी भी होगी। इससे पहले निचली अदालत ने उन्हें 14 दिनों की रिमांड पर भेज दिया था।
इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी संज्ञान लिया है। आयोग की विज्ञप्ति में कहा गया है कि पहली नजर में प्रोफेसर महमूदाबाद के मानवाधिकार तथा अधिकारों का उल्लंघन दिखाई पड़ता है। आयोग ने हरियाणा पुलिस से एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
मालूम हो कि प्रो. महमूदाबाद की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस सहित अनेक दलों ने अपना विरोध जताया था। उनके फेसबुक पोस्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो भारत के खिलाफ हो या महिलाओं को अपमानित करने वाला हो। विवि के शिक्षकों तथा छात्रों ने भी प्रो. महमूदाबाद के पक्ष में आवाज उठाई थी।
प्रो. महमूदाबाद को अंतरिम जमानत मिलने की उम्मीद पहले से जताई जा रही थी। मध्य प्रदेश के भाजपा नेता को जमानत मिल गई, जिन्होंने खुलेआम सेना की महिला अधिकारी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था, जबकि प्रो. महमूदाबाद के फेसबुक पोस्ट में ऐसा कुछ भी नहीं था।
सोशल मीडिया पर भी कई लोग अतंरिम जमानत मिलने पर संतोष जता रहे हैं।