नीतीश के MLC पर ED का छापा, 26. 19 करोड़ की संपत्ति जब्त
नीतीश के MLC पर ED का छापा, 26. 19 करोड़ की संपत्ति जब्त। भाजपा के साथ जाने पर भी नीतीश के करीबी पर शिकंजा। क्या है सियासी मतलब?
नीतीश कुमार पाला बदल कर भाजपा के एनडीए में शामिल हो गए। इसके बाद भी ईडी ने मंगलवार को उनकी एमएलसी राधाचरण सेठ के विभिन्न ठिकानों पर छापा मारा है। ईडी ने सेठ की 26.19 करोड़ की संपत्ति जब्त की है। इसी के साथ राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। कल तक ईडी इंडिया गठबंधन के नेता हेमंत सोरेन के खिलाफ सक्रिय थी, अब उसने नीतीश कुमार के करीबी को शिकंजे में लिया है।
राजनीतिक गलियारे में लोग पूछ रहे हैं कि क्या हय जदयू को कमजोर करने का कोई नया प्लान तो नहीं है। लोग 2020 विधानसभा चुनाव को याद कर रहे हैं, जब भाजपा के साथ रहते हुए भी चिराग पासवान ने जदयू प्रत्याशियों के खिलाफ ही चुन-चुन कर अपने प्रत्याशी दिए थे, जिसका भारी नुकसान जदयू को हुआ था और वह तीसरे नंबर की पार्टी बन कर रह गई।
राधाचरण सेठ पर वैसे पिछले साल भी छापेमारी हुई थी और वे विभिन्न मामलों में पटना के बेउर जेल में बंद हैं। उन पर बालू के अवैध धंधे में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। ईडी ने ब्रॉडसन कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर छापेमारी की है, जिसका स्वामित्व राधाचरण सेठ तथा सुभाष यादव के पास है। ईडी ने सेठ को 77 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पिछले साल जब ईडी ने कार्रवाई की थी, तब नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के साथ थे। अभी पिछले महीने ही उन्होंने पाला बदल कर एनडीए का दामन थामा है।
वैसे आधिकारिक रूप से राधाचरण सेठ के ठिकानों पर छापेमारी पर जदयू ने कोई बयान नहीं दिया है। भाजपा के नेता भी इस मामले में चुप ही हैं। अगर जदयू से जुड़े किसी और नेता के यहां छापेमारी होती है, तो मामला गरमा सकता है। कई लोग इसे रूटीन छापा मान रहे हैं कि पिछले साल भी छापेमारी हुई थी, तो यह उसी की कड़ी है। हालांकि यह सभी मान रहे हैं कि चुनाव में पार्टी को फंड करने वाले नेताओं पर कार्रवाई से पार्टी का चुनावी अभियान प्रभावित होगा और पार्टी भाजपा पर ज्यादा निर्भर होगी।
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