बिहार की दलित राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी को दरभंगा स्थित आंबेडकर छात्रावास जाने से रोक कर भाजपा-जदयू ने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली है। इस बीच कई दलित नेताओं ने कहा कि पहली बार चिराग पासवान के सामाजिक आधार में दरार दिखी है। हालांकि खुद चिराग पासवान ने कल हुए राहुल गांधी के कार्यक्रम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि हम (से) के नेता और राज्य सरकार के मंत्री संतोष कुमार सुमन ने सोशल मीडिया एक्स पर कांग्रेस को पाकिस्तानपरस्त पार्टी तक कहा है।
जो लोग भी बिहार की दलित राजनीति को जानते हैं उन्हें मालूम है कि राज्य के आंबेडकर छात्रावासों में पासवान समाज के छात्र बड़ी संख्या में रहते हैं। एक दलित नेता ने बताया कि 80 प्रतिशत आंबेडकर छात्रावासों के प्रिफेक्ट पासवान समाज के छात्र ही होते हैं। अगर पासवान समाज के छात्र नहीं चाहते तो राहुल गांधी आंबेडकर छात्रावास में नहीं जा पाते या जाते, तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता। 15 मार्च को राज्य के लगभग 20 आंबेडकर छात्रावासों में कांग्रेस का शिक्षा संवाद कार्यक्रम हुआ। कहीं भी किसी छात्र ने विरोध नहीं किया। इसे पासवान समाज के कांग्रेस के प्रति झुकाव के एक संकेत के रूप में देका जा रहा है।
हाल तक चिराग पासवान के सामाजिक आधार को किसी किले से कम नहीं माना जाता था। लोग मान कर चल रहे थे कि पासवान समाज चिराग पासवान को छोड़ कर किसी दूसरे नेता को स्वीकार नहीं कर सकता। लेकिन जिस प्रकार कल आंबेडकर छात्रावासों में कांग्रेस के कार्यक्रम हुए हैं, उसे बदलाव की शुरुआत माना जा रहा है।
इधर पटना में बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम, प्रभारी कृष्णा अलावरु, गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी ने प्रेस वार्ता में कहा कि पहले दरभंगा प्रशासन सहयोग कर रहा था, लेकिन एक दिन पहले भाजपा-जदयू नेताओं के एक बैठक हुई, उसके बाद प्रशासन का रुख बदल गया। प्रशासन अड़ंगा डालने लगा। इसके बावजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने संयम से काम लिया।