राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने बुजुर्ग माता-पिता की सेवा न करने वाली संतानों के लिए सजा का प्रावधान किये जाने संबंधी बिहार सरकार के कदम का स्वागत किया है।
श्री गहलोत ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर ट्वीट कर कहा कि संतानों द्वारा वृद्ध माता-पिता की सेवा न करने संबंधी मामलों पर बिहार सरकार का कदम स्वागत योग्य है। माता-पिता के सम्मान को बनाए रखने के लिए और संतान का उनके प्रति दायित्व सुनिश्चित करने के लिए ऐसे कदम उठाना अतिआवश्यक है। उन्होंने आगे कहा, “बुजुर्गों का सम्मान बनाए रखने और उनके भरण-पोषण को सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों में ऐसे प्रावधान होने चाहिए ।”
मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “राजस्थान में तो वर्ष 2010 में ही हमारी सरकार ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण नियम के तहत माता-पिता की अनदेखी करने वालों या उन्हें अपनाने से इन्कार करने वाली संतानों के खिलाफ सजा और जुर्माने का प्रावधान कर दिया था।”
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रिमंडल की हुई बैठक में समाज कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, जिसके तहत अपने माता-पिता की सेवा नहीं करने वाली संतानों को जेल की सजा हो सकती है। मंत्रिमंडल ने वर्ष 2007 में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम में संशोधन किया है। पूर्व में बच्चों द्वारा प्रताड़ित किए जाने वाले माता-पिता को न्याय के लिए जिलों के परिवार न्यायालय में अपील करनी होती थी। जहां सुनवाई प्रधान न्यायाधीश के स्तर पर होती थी। अब माता-पिता जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित अपील अधिकरण में अपील करेंगे। जिलाधिकारी ही मामले की सुनवाई करेंगे। जहां सुनवाई प्रधान न्यायाधीश के स्तर पर होती थी। अब माता-पिता जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित अपील अधिकरण में अपील करेंगे। जिलाधिकारी ही मामले की सुनवाई करेंगे।