राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को, क्या भाजपा को गच्चा देंगे नीतीश
देश में राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का एलान हो गया। 18 जुलाई को मतदान होगा और तीन दिन बाद रिजल्ट। क्या नीतीश कुमार कोई खेला करेंगे?
आज राष्ट्रपति के चुनाव की तिथि का एलान हो गया। 18 जुलाई को मतदान और 21 जुलाई को परिणाम आ जाएगा। आज चुनाव आयोग ने देश के 17 वें राष्ट्रपति चुनाव का एलान कर दिया। इसी के साथ सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि नीतीश कुमार की रणनीति क्या होगी। पहले भी वे यूपीए में रहते हुए एनडीए को और एनडीए में रहते हुए यूपीए प्रत्याशी को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन दे चुके हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार इस बार यूपीए प्रत्याशी को समर्थन देंगे?
यूपी चुनाव तक राज्य की राजनीति में भाजपा आक्रामक थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सरकार पर भाजपा के नेता कभी कुछ-कभी कुछ बोल रहे थे। राजनीतिक गलियारों खासकर भाजपा खेमे में चर्चा आम थी कि जल्द ही बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। लेकिन रमजान महीने ने पासा पलट दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस महीने मस्जिदों-खानकाहों-मजारों पर जिजनी हाजिरी दी, उतनी शायद पहले नहीं दी। और तेजस्वी यादव के यहां इफ्तार में जाकर उन्होंने बिहार की राजनीति की दिशा बदल दी। फिर तो भाजपा बैकफुट पर आ गई। इसी का नतीजा है कि जातीय जनगणना जैसे सवाल पर भी भाजपा को सहमत होना पड़ा।
अब राष्ट्रपति चुनाव ने नीतीश कुमार के हाथ में फिर से एक बड़ा अवसर दे दिया है। जदयू-भाजपा संबंध में जदयू का पलड़ा भारी हो गया है। संख्या बल में कमजोर होने के बाद भी राजनीति की बागडोर नीतीश के हाथ में आ गई है। नीतीश कुमार इस अवसर का तात्कालिक लाभ उठाना पसंद करेंगे या दूरगामी, इसे देखना होगा।
संभव है राष्ट्रपति चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाए और उन लोगों को जगह दी जाए, जिनके मत हासिल करना भाजपा के लिए जरूरी है। तब आरसीपी सिंह की जगह जदयू के दूसरे नेता को जगह मिल सकती है। यही नहीं, जदयू को एक नहीं, दो मंत्री पद केंद्र में मिल सकते हैं, जिसकी मांग कभी नीतीश कुमार ने की थी। दूसरी तरफ नीतीश कुमार केंद्र में हिस्सेदारी के बजाय दूरगामी राजनीति के लिहाज से विपक्ष के साथ भी खड़े दिख सकते हैं।
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