SC (सुप्रीम कोर्ट) ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने देश के आठ करोड़ migrant worker (प्रवासी मजदूरों) तथा असंगठित क्षेत्र के कर्मियों को Ration Card देने का आदेश दिया। कोर्ट ने दो महीने के भीतर राशन कार्ड देने का निर्देश दिया है। इतनी बड़ी और गरीब वर्ग से जुड़ी खबर मीडिया से गायब है।
पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने SC (सुप्रीम कोर्ट) के इस महत्वपूर्ण फैसले की प्रति सोशल मीडिया में शेयर की है। कोर्ट ने भोजन का अधिकार कानून को लागू करने की दिशा में यह फैसला दिया है। कोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत निर्धारित कोटे के बावजूद Ration Card देने का आदेश किया है।
Excellent order by Supreme Court today on Right to Food- directs ration cards be given to 8 crore migrant/unorganised sector workers within 2 months irrespective of quotas set under NFSA. Due to govt not doing 2021 census, crores of people being denied food security. Read update- pic.twitter.com/P0F5RMPgqC
— Anjali Bhardwaj (@AnjaliB_) March 19, 2024
(SC) सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली तथा जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुललाह ने एमए-94-20-2022 केस की सुनवाई करते हुए 20 अप्रैल, 2023 के फैसले का अब तक अनुपालन नहीं होने को गंभीरता से लिया। ई-केवाईसी जैसे कुछ नियमों के नाम पर अनावश्यक देरी किए जाने को नोट किया। कोर्ट ने इ-श्रम के तहत पहले से निबंधित मजदूरों का एनएफएसए के साथ मिलान हो चुका है। इसी के बाद यह जानकारी सामने आई की आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों तथा असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को Ration Card नहीं मिला है, जो भोजना का अधिकार के तहत उन्हें मिल जाना था।
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याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत नए राशन कार्ड पाने वालों का निर्धारण जनगणना के आधार पर होना था, लेकिन जनगणना नहीं किए जाने से गरीबों को भोजन का अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है। जनसंख्या वृद्धि के बावजूद केंद्र सरकार 2011 की जनगणना के आधार पर ही राशन कार्ड दे रही है, जो गरीबों के साथ अन्या है और भोजन का अधिकार का उल्लंघन है।