RCP भाजपा में, नड्डा तक नहीं आए, समझिए क्या होगी हैसियत

RCP भाजपा में, नड्डा तक नहीं आए, समझिए क्या होगी हैसियत

RCP को कभी PM मोदी व अमित शाह का करीबी माना जाता था। वे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, सम्मानजनक होता अगर नड्डा शामिल कराते। समझिए क्या होगी हैसियत?

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह लगभग एक साल के प्रयास के बाद गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें दिल्ली में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पार्टी में शामिल कराया। आरसीपी को कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता था। वे कभी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री की बात छोड़िए, उन्हें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के हाथों सदस्यता ग्रहण करने का भी मौका नहीं मिला। उनके लिए सम्मानजनक यह होता कि उन्हें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा पार्टी में शामिल कराते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्या है इसकी वजह और अब भाजपा में आरसीपी सिंह की हैसियत क्या होगी?

आरसीपी सिंह अगर अमित शाह के हाथों पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते, तो पार्टी में उनका सम्मान काफी होता। भाजपा अध्यक्ष के हाथों सदस्यता लेने पर भी उन्हें सम्मान मिलने की संभावना थी, लेकिन एक केंद्रीय मंत्री के के सामने पार्टी में शामिल होने का अर्थ है कि उन्हें भाजपा में विशेष स्थान मिलने की फिलहाल संभावना कम ही है। बिहार में कई केंद्रीय मंत्री हैं। इनके अलावा कई वरिष्ठ नेता है। जाहिर है, वे आरसीपी सिंह को कोई बड़ा महत्व देने नहीं जा रहे। बिहार में भाजपा नेताओं की लंबी कतार है। इसी कतार में उन्हें भी लगना होगा।

समय कितना बलवान होता है। कभी बिहार में आरसीपी सिंह के इर्द-गिर्द बड़े-बड़े नेता बिछे रहते थे। उन्हें नीतीश कुमार के बाद भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखने वाले लोग भी थे। वे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। आज हालत यह है कि उन्हें भाजपा में प्रवेश के लिए कई बार दिल्ली प्रवास करना पड़ा। लगभग एक साल के इंतजार के बाद प्रवेश मिला, लेकिन आगे क्या होगा, यह भी स्पष्ट नहीं है।

आज दिल्ली में आरसीपी सिंह भाजपा में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार पर खूब बरसे। उन्हें पलटी मार नेता कहा। लेकिन यह बात पुरानी पड़ चुकी है। अब तो नीतीश विपक्ष की राजनीति में आगे बढ़ चुके हैं। जाहिर है आरसीपी को नीतीश कुमार की नई आलोचना विकसित करनी होगी। लेकिन ध्यान रहे सिर्फ प्रेस में बयानों से ही काम नहीं चलने वाला है। उन्हें अपनी राजनीतिक जमीन दिखानी होगी। बिहार भाजपा में सम्मान पाने के लिए जद्दोजहद करनी होगी।

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