राजद के इफ्तार से जलने वालों को तेजस्वी ने क्या कह दिया जवाब

RJD के इफ्तार पर खास राजनीति करने वालों ने सवाल उठाया, तो तेजस्वी ने दिया जवाब। कहा, हमारे घर का छठ भूल गए क्या? इफ्तार का मतलब भी समझाया।

पिछले इफ्तार के समय राजद सत्ता में नहीं था, तब भी इफ्तार का आयोजन हुआ। इस बार भी हुआ। इस बार भी दस हजार रोजेदार शामिल हुए। राजद का इंतजाम तो वही था, लेकिन इस बार खास राजनीति करनेवालों ने मुद्दा बना दिया। अपनी नफरत का विस्तार करते हुए उन्होंने इफ्तार पर सवाल उठाया कि हिंदुओं के पर्व में ऐसा आयोजन क्यों नहीं करते। इस पर तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारे घर का छठ भूल गए क्या? तेजस्वी यादव ने कहा-हमारे यहाँ बिहार का सबसे बड़ा मकर संक्रांति भोज, लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा, नवरात्रि पूजा, क्रिसमस सेलिब्रेशन और दावत-ए-इफ़्तार का धूमधाम से आयोजन किया जाता है जहां आम से लेकर खास आदमी तक आमंत्रित रहते है। नफरती संघी भाजपाइयों को ऐसी एकता और मोहब्बत कहाँ पचेगी?

इससे पहले रालोजद के उपेंद्र कुशवाहा ने भी राजद के इफ्तार की आलोचना की और कहा कि बिहारशरीफ में हिंसा के आलोक में इफ्तार पार्टी देना उचित नहीं है। इस पर तेजस्वी यादव ने कहा-इफ्तार पार्टी नहीं, बल्कि इबादत है। पवित्र रमजान महीने में इफ्तार में आप रोजोदारों का सम्मान करते हैं। सब मिल कर प्रदेश में अमन और खुशहाली की दुआ करते हैं। यह हमारी साझा संस्कृति है। जिस तरह दशकों के हमारे यहां छठ होती है, छठ का प्रसाद बांटा जाता है, उसी तरह इफ्तार भी दशकों से होता है।

नौकरशाही डॉट कॉम के संपादक इर्शादुल हक ने उपेंद्र कुशवाहा को जवाब देते हुए कहा था-अगर कोई,दावत ए इफ्तार को जश्न या समारोह मानता है तो उन्हें मेरी सलाह है कि अपनी समझ दुरुस्त करे। इफ्तार की दावत एक विशुद्ध इबादत है। रोजेदारों को सामूहिक सम्मान देने की। रोज़ेदार के लिए इफ्तार का इंतज़ाम आपसी भाईचारे का प्रतीक है। हिंसा के दौर में यह प्रेम और भी ज़रूरी है।

तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि संयम, समर्पण एवं अनुशासन के साथ हजारों की संख्या में आवास पर पधारे रोजेदारों, विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ताओं एवं शुभचिंतकों द्वारा एक साथ एक जगह मुल्क की तरक्की के लिए इबादत करना हमारी सांझी विरासत और संस्कृति का प्रकटीकरण है।

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