राजद में उपाध्यक्ष ‘डेकोरेटिव’ पोस्ट नहीं, तेजस्वी ने की बैठक

दलों में उपाध्यक्ष पद डेकोरेटिव या ओरनामेंटल (सजावटी) पद ही माना जाता रहा है। राजद इस धारणा को बदलेगा। तेजस्वी ने उपाध्यक्षों के साथ की बैठक। दी जिम्मेवारी।

कुमार अनिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंख और कान कहे जाने वाले आईएएस अधिकारी एके शर्मा को याद करिए। यूपी में विधानसभा चुनाव है, लेकिन वे कहीं नजर नहीं आ रहे। हल्ला था कि उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा, पर भाजपा ने तीन महीना पहले उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। अब वे कहने को उपाध्यक्ष हैं, पर यूपी चुनाव के घमासान में कहीं नजर नहीं आ रहे। इसे ही कहते हैं ओरनामेंटल पद।

इधर, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आज अध्यक्ष मंडल की बैठक की, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के अलावा 21 उपाध्यक्ष शामिल थे। तेजस्वी यादव राजनीतिक अभियानों, आंदोलनों के साथ ही संगठन की मजबूती पर जोर दे रहे हैं। उपाध्यक्षों के साथ बैठक में तेजस्वी ने संगठन की मजबूती में उपाध्यक्षों की भूमिका पर चर्चा की। राजद सूत्रों के अनुसार सभी उपाध्यक्षों को सांगठिनक जिम्मेवारी भी दी जा रही है। 21-22 सितंबर को दक्षिण बिहार के सभी प्रखंड अध्यक्षों का शिविर होगा, इसके लिए भी उपाध्यक्षों को जिम्मेवारी दी गई है।

तेजस्वी ने ट्वीट किया-आज प्रदेश पार्टी कार्यालय में अध्यक्ष मंडल (सभी प्रदेश उपाध्यक्षों) की बैठक में संगठन को धारदार, प्रभावी और मज़बूत बनाने के संदर्भ में गहन विचार-विमर्श हुआ।

अब्बाजान की आड़ में सांप्रदायिकता, बेरोजगारी, महंगाई होंगे मुद्दे

राजद प्रखंड अध्यक्षों के प्रशिक्षण शिविर में अब्बाजान के नाम पर नफरत की राजनीति, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों पर भाजपा को घेरने तथा बूथ स्तर तक पार्टी को हमेशा सक्रिय रखने पर चर्चा होगी। आज खुद तेजस्वी यादव पॉलिटेकनिक छात्रों से मिले।

प्रदेश प्रवक्ताओं ने भाजपा को घेरा

इस बीच आज राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन, सारिका पासवान और प्रशांत मंडल ने संयुक्त प्रेस वार्ता में जदयू-भाजपा पर आरोप लगाया कि दोनों दलों ने प्रदेश के सम्मानित नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का अपमान किया और इसके लिए वे प्रयश्चित करें। प्रवक्ताओं ने कहा- रघुवंश बाबू द्वारा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम लिखा गया जो पत्र लालू जी और उनके बीच के आत्मीय सम्बन्ध की भावनात्मक अभिव्यक्ति है, उस पत्र को ही इन जालसाजों द्वारा राजद से उनके इस्तीफे के रूप में दुष्प्रचारित किया गया।

राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि रघुवंश बाबू को जब आभास हो गया कि वे अब मृत्यु के काफी निकट हैं तो उन्होंने लालू जी को लिखा कि “कर्पूरी जी के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा लेकिन अब नहीं। ” अर्थात उनका और लालू जी का साथ हमेशा-हमेशा के लिए छूट रहा है। इसी संदर्भ में उन्होंने पार्टी नेताओं , कार्यकर्ताओं और आमजनों द्वारा दिये गये स्नेह का स्मरण कर सदा के लिए रुखसत होते हुए उनसे क्षमा मांगी है। यदि यह पत्र इस्तीफा रहता तो इसमें ” आमजन ” का उल्लेख क्यों किया जाता। पर एक सुनियोजित साजिश के तहत पत्र की गलत व्याख्या करते हुए अर्थ को अनर्थ बना कर राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए दुष्प्रचारित किया गया।

By Editor


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