SaatRang : बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले के खिलाफ प्रदर्शन
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की कई घटनाएं हुई हैं। भारत में यह वायरल है। इसका एक दूसरा पक्ष भी है। वहां वाम दलों ने कट्टरपंथ के खिलाफ प्रदर्शन किया।
पिछले शुक्रवार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की कई घटनाएं हुई हैं। इससे जुड़ी खबरें भारत में वायरल हैं। लेकिन मामले में एक दूसरा पक्ष भी है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में वाम जनतांतित्रक गठबंधन ने सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन किया है। बांग्लादेश के वाम दल और सिविल सोसाइटी सांप्रदायिक नफरत की आंधी से लड़ रहे हैं। निश्चित रूप से इनकी संख्या कम है, पर बड़ी बात है कि वे सांप्रदायिक सद्भाव के लिए आगे आ रहे हैं। यह खबर भारतीय मीडिया से गायब है।
भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बांग्लादेश के वाम दलों के प्रदर्शन का न सिर्फ फोटो सोशल मीडिया में जारी किया, बल्कि वाम मोर्चा की घोषणा को भी साझा किया है। बांग्लादेश में वाम जनतांत्रिक गठबंधन में उस देश के आठ वाम दल शामिल हैं। इनमें तीन- सीपीबी, बीएसडी और रिवोल्यूशनरी वर्कर्स पार्टी चुनाव भी लड़ती हैं।
दीपंकर भट्टाचार्य ने ट्वीट किया-अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हिंसक सांप्रदायिक हमलों के खिलाफ बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन। बंगाल की समन्वित सांस्कृतिक विरासत को बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल दोनों में कट्टरपंथी और विभाजनकारी ताकतों के सुनियोजित सांप्रदायिक अभियान को परास्त करना चाहिए।
Protests in Bangladesh against violent communal attacks on minority Hindu community. The syncretic cultural legacy of Bengal must prevail over the orchestrated communal campaign of fundamentalist and divisive forces in both Bangladesh and West Bengal. pic.twitter.com/VKQmAyoBze
— Dipankar (@Dipankar_cpiml) October 18, 2021
बांग्लादेश में विवाद की शुरुआत इस खबर के साथ हुई कि किसी हिंदू ने कुरान की बेअदबी की है। ऐसे मामलों में भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश में एक समान प्रतिक्रिया होती है। तुरत अल्पसंख्यकों पर हमले शुरू हो जाते हैं। दिल्ली में सिंघु बॉर्डर पर क्या हुआ? एक आदमी के हाथ काट दिए गए। इसकी चौतरफा निंदा हुई। कई गिरफ्तार भी हुए।
शालिनी मालवीय की बात गौर करने लायक है। उन्होंने ट्वीट किया- अगर आप अपने धर्म का सच में आदर करते हैं तो उसके नाम पर होने वाली धर्मान्धता का विरोध करना आपका धर्म है। किसी और पर दोषारोपण कर, चुप रहने से आप बच नहीं सकते। हमारे धर्म के त्रेताओं, गुरुओं, पैगम्बरों, अवतारों ने किसी असहाय निहत्थे पर अत्याचार को कभी जायज़ नहीं ठहराया। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि मानव जीवन से ज्यादा पवित्र, ज्यादा कीमती कोई भी धार्मिक प्रतीक नहीं हो सकता।