SaatRang : मूर्तियां अब ऊंची हो रही हैं, विचार क्षुद्र

जो लोग आज भी भारत को विश्व का आध्यात्मिक गुरु कहना पसंद करते हैं, वे या तो सच से डरते हैं अथवा नफरत की राजनीति से प्रेरित हैं।

ये है बिजय बानिया, जो पुलिस की गोली से मरे मुस्लिम गरीब के शरीर पर डांस कर रहा था। इसके दिमाग में कहां से आई नफरत।

हमारे देश में आजकल प्रतिमाएं ऊंची से ऊंची बनाने की होड़ चल रही है। ऊंची प्रतिमा की घोषणा से ही लगता है कि हमारा पंथ, हमारी धारा दूसरे से ऊंची हो गई। हम महान हो गए। लेकिन यहीं एक विरोधाभास भी बड़ा होता जाता है। जैसे-जैसे देश में प्रतिमाओं की ऊंचाई बढ़ रही है, वैसे-वैसे उन महापुरुषों के विचार कमजोर हो रहे हैं।

इस दौर में सिर्फ नानक-गुरुगोविंद सिंह के विचार ही गुरुद्वारों की तरह सीधे खड़े दिखते हैं। दिल्ली में दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों पर क्या-क्या जुल्म हुए, उसकी फेहरिस्त कई किताबों का रूप ले लेगी। इनके पक्ष में गुरुद्वारे खड़े हुए। यही नहीं, ये हिंसा, नफरत की आंधी के सामने भी प्रेम-सदभाव की मजबूत दीवार की तरह खड़े हुए।

भारत को आध्यात्मिक गुरु बताने के लिए हम कई महान आत्माओं का नाम लेते हैं। उनकी प्रतिमाएं पहले से हैं, नई भी बन रही हैं। उन महान आत्माओं ने हिंसा-नफरत के खिलाफ विचार दिए, सिद्धांत दिए। यहां तक कहा कि किसी को मारना तो गलत है ही, मारने का ख्याल करना भी पाप है। ख्याल करना भी आपका कर्म है, जिसका फल आपको भोगना होगा।

प्रतिमाएं तो पहले से ऊंची बन रही हैं, लेकिन अहिंसा, मैत्री, वसुधैव कुटुंबकम, प्रेम जैसे अमूल्य शब्दों की ताकत समाज में क्या कमजोर नहीं हो रही? शास्त्रों के ज्ञाता अनेक मिल जाते हैं। शास्त्र का नाम और पेज नंबर के साथ बड़ी-बड़ी बातें लोगों को कंठस्थ हैं, लेकिन नफरत की आंधी से मुकाबला करते वे कहीं नहीं दिखते।

यह स्थापित है कि अहिंसा, वसुधैव कुटुंबकम जैसे हर शब्द यूं ही नहीं जन्म लेते। जब महापुरुषों ने हिंसा का विचार मन में लाने को भी पाप बताने पर जोर दिया, तब वे दरअसल समाज में व्याप्त हिंसा से लड़ रहे थे। महापुरुषों के विचार अपने समय के कुविचारों से लड़ते हुए बढ़े। आज इन विचारों के अनुयायी इतने चुप हैं, तो यह भी तय है कि प्रतिमाएं रह जाएंगी, किताबें रह जाएंगी, ज्ञानी भी रहेंगे, पर मर्म खत्म हो जाएगा। आडंबर रहेगा, आत्मा नहीं रहेगी।

असम में कब्जा हटाने के नाम पर दो लोगों को पुलिस ने गोली मार दी। एक के सीने में। उसके गिरने के बाद एक फोटोग्राफर उस बेसुध शरीर पर डांस करता है। इतनी विभत्स घटना विभत्स दिमाग का प्रमाण है। प्रतिमाएं ऊंची बनाने वाले, देश को आध्यात्मिक विश्व गुरु होने का गर्व करनेवाले कितने लोगों और कितनी महान आत्माओं ने इस घटना की निंदा की। हद तो यह है कि इस गोलीकांड के पक्ष में, जिले के एसपी के पक्ष में सोशल मीडिया में अभियान चला।

यह यूं ही नहीं है कि विश्व गुरु भारत के प्रधानमंत्री को अमेरिकी राष्ट्रपति गांधी की याद दिलाते हैं और उपराष्ट्रपति लोकतंत्र और सहिष्णुता की। दूसरे धर्म से नफरत ने इतना अविवेकी बना दिया है कि कल यह अविवेक किसी को नहीं छोड़ेगा। उसे भी नहीं, ‘दूसरे’ पर अत्यार से खुश हो रहे हैं और उन्हें भी नहीं जो चुप हैं।

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By Editor


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