संघ के गढ़ नागपुर में होगी इंडिया गठबंधन की पहली महारैली!

संघ के गढ़ नागपुर में होगी इंडिया गठबंधन की पहली महारैली! 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा की घेराबंदी के लिए इंडिया गठबंधन ने बनाई आक्रामक रणनीति।

इंडिया गठबंधन की पहली महारैली भाजपा और खासकर आरएसएस के गढ़ नागपुर में होगी। विभिन्न स्रोतों से मिल रही जानकारी के अनुसार इंडिया गठबंधन ने 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा की घेराबंदी के लिए आक्रामक रणनीति बनाई है। संघ को उसके गढ़ में चुनौती देने के लिए गठबंधन के सभी 26 दलों के नेता जमा होंगे। नागपुर में महारैली करके दरअसल भाजपा की हिंदू-मुस्लिम राजनीति पर हमला करने की तैयारी है। नागपुर में रैली करने का प्रस्ताव एनसीपी प्रमुख शरद पवार तथा शिव सेना नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिया है और इस पर गठबंधन के सभी दलों की सहमति है।

पिछले महीने 13 सितंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक में महारैली के लिए पांच स्थलों पर विचार किया गया था। ये पांत स्थल हैं दिल्ली, भोपाल, नागपुर, गुवाहाटी और चैन्नई। भोपाल में महारैली के लिए कांग्रेस की राज्य इकाई तैयार नहीं हुई। वहां 17 नवंबर को चुनाव होना है। चेन्नई में इंडिया गठबंधन की महिला रैली हो रही है। खबर लिखे जाने के दौरान महारैली जारी थी। इसमें सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती तथा डीएमके की महिला नेता भाग ले रही हैं। इसीलिए चेन्नई पर भी सहमति नहीं हुई। अंततः नागपुर पर सभी दलों की सहमित बनती दिख रही है।

याद रहे नागपुर सिर्फ भाजपा-संघ का गढ़ नहीं है, बल्कि यहां और खासकर आस-पास के इलाके में दलित राजनीति भी मजबूत रही है। डॉ आंबेडकर ने यहां ऐतिहासिक रैली की थी। इंडिया गठबंधन ऐसी जगह भाजपा को चुनौती देना चाहता है, जहां से सीधे उसके केंद्र हिंदुत्तव की राजनीति पर हमला किया जा सके। इस दृष्टि से नागपुर पर सभी दलों की सहमति बनती दिख रही है।

नागपुर में इंडिया गठबंधन की पहली महारैली करने के पीछे महाराष्ट्र की राजनीति को भी प्रभावित करना मकसद है। यहां भाजपा ने एनसीपी तथा शिव सेना दोनों को तोड़कर अपनी सरकार बनाई है। दोनों दलों को तोड़ने के बाद भी महाराष्ट्र की राजनीति स्थिर नहीं हुई है। भाजपा ने सोचा था कि एनसीपी और शिव सेना को तोड़ कर वह मजबूत जनाधार पा लेगी, लेकिन अब तक वह ऐसा कुछ पाने में विफल रही है। भले ही दोनों दलों को भाजपा ने तोड़ दिया लेकिन जनाधार का बड़ा हिस्सा आज भी उद्धव ठाकरे तथा शरद पवार के साथ ही है। इस स्थिति में महारैली करके प्रदेश की राजनीति में भाजपा को और भी पीछे धकेला जा सकता है।

By Editor


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