संघ प्रमुख बोले रोजगार मतलब नौकरी नहीं, धर लिया ललन सिंह ने
दशहरे पर RSS प्रमुख मोहन भागवत के दो बयानों पर तीखी प्रतिकिया हुई है। अंग्रेजी जरूरी नहीं और नौकरी सबको नहीं पर ललन सिंह ने बढ़िया से धर लिया।
दशहरे में सभी एक दूसरे की खुशहाली की कामना करते हैं, उस वक्त आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के दो बयानों पर बवाल हो गया। भागवत ने ने कहा कि नौकरी के लिए अंग्रेजी जरूरी नहीं है। इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई और लोगों ने कहा कि किसी के बहकावे में नहीं आना है। भाजपा के मंत्री और नेता अपने बच्चों को अग्रेजी स्कूल में पढ़ाते हैं। संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि रोजगार मतलब नौकरी नहीं होता। इस पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बढ़िया से धर लिया और बड़ा आरोप लगाया। कहा संघ और भाजपा वाले दलित-पिछड़ा विरोधी हैं।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि रोज़गार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सराकरी। अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सराकरी और प्राइवेट मिलाकर ज़्यादा से ज़्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती है। बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है।
जवाब में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा-स्पष्ट है कि RSS प्रमुख को गुरु मानने वाली भाजपा की @narendramodi सरकार पिछड़ा, अतिपिछड़ा, दलित, महादलित, महिला और गरीब सवर्ण विरोधी है। ये सिर्फ़ दो कॉरपोरेट व्यक्ति को लाभ पहुंचाते हैं। चुनावों में प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ नौकरियों का वादा और जीतने के बाद जुमला बताना इनका पेशा है।
मोहन भागवत के उस बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया हुई है, जिसमें उन्होंने कहा कि नौकरी-रोजगार के लिए अंग्रेजी जरूरी नहीं है। अपनी मातृभाषा ही काफी है। इस पर लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कहा-भाषण सुनिए। जिसको मन करे वोट दीजिए। लेकिन बच्चों को मातृभाषा के साथ अंग्रेज़ी का भी अच्छा ज्ञान दीजिए। किसी भी पार्टी के नेता के चक्कर में बच्चों के भविष्य से मत खेलिये।
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