CBI चीफ आलोक वर्मा के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले को गलत बताते हुए उनके पद पर फिर से बहाल कर दिया है। हालांकि आलोक वर्मा कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकते हैं और न हीं किसी जांच का जिम्मा संभाल सकते हैं।
नौकरशाही डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आलोक वर्मा कोई भी नीतिगत फैसला नहीं ले सकते है, इसके अलावा जांच का जिम्मा भी नहीं संभाल सकते। कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई निदेशक के पद पर आलोक वर्मा की वापसी हो गयी है।
ज्ञात हो कि भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई के दो निदेशकों राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच विवाद होने के बाद सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था।
आलोक वर्मा छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। केस की पिछली सुनवाई छह दिसंबर को हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सीबीआई के दोनों अधिकारियों के बीच झगड़े रातोंरात तो नहीं हुए। ये जुलाई से चल रहा था तो डायरेक्टर आलोक वर्मा को हटाने से पहले चयन समिति से परामर्श क्यों नहीं किया गया।
काम से हटाने से पहले चयन समिति से बात करने में क्या दिक्कत थी? 23 अक्टूबर को अचानक फैसला क्यों लिया गया? CVC की ओर से पेश SG तुषार मेहता ने जवाब दिया था कि CVC की संसद के प्रति जवाबदेही है।
यहाँ गम्भीर मामलों की जांच करने के बजाए। CBI के दोनों अधिकारी एक दूसरे के खिलाफ FIR दर्ज़ कर रहे थे,एक दूसरे के यहाँ रेड हो रही थी,बड़े असाधारण हालात हो गए थे और ऐसी सूरत में CVC को कदम उठाना ज़रूरी था।