सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में SC बेंच ने SBI द्वारा चुनाव आयोग को सीमित जानकारी दिये जाने पर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने कहा है कि आदर्श रूप से एसबीआई को हर चुनावी बांड की विशिष्ट आईडी नम्बर का खुलासा करना चाहिए। याद रहे इसी से पता चलेगा कि कौन सा बॉण्ड किस पार्टी को गया है। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने के लिए एसबीआई को नोटिस जारी किया गया है। मामले में फिर सोमवार को होगी।
मालूम हो कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट को पहले बताया था कि कुल 22,217 इलेक्टोरल बॉण्ड बेचे गये थे। लेकिन कल उसने बैंक केवल 18,871 बॉण्ड की जानकारी ही दी है! यहां सवाल उठ रहा है कि 2019 के पहले के आंकड़े एसबीआी ने क्यों नहीं दिए। इसी के साथ पीएम केयर फंड पर भी फिर से सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि उसका खुलासा हुआ, तो और भी बड़े घपले सामने आएंगे। पीएम केयर फंड को प्राइवेट बता कर आरटीआई से बाहर कर दिया गया था। अगर वह प्रइवेट संस्था है, तो उसके लिए चंदा लेते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो का क्यों इस्तेमाल किया गया। किसके आदेश से सरकारी कर्मचारियों तथा प्रइवेट सेक्टर के मजदूरों की सैलरी से पैसे काट लिए गए।
भाजपा ने चिराग को दिया तवज्जो, क्या करेंगे नीतीश
भाजपा में पूरी खामोशी है। बात-बात में कांग्रेस से 70 सालों का हिसाब मांगने वाले इलेक्टोरल बांड की आधी जानकारी से ही सवाल पूछना भूल गए हैं। इस बीच इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की मांग होने लगी है। आखिर जिस कंपनी पर टैक्स में गड़बड़ी का आरोप है, उससे कोई पार्टी चंदा कैसे ले सकती है। चंदा लेकर किसी कंपनी को ठेका देना ये सब भ्रष्टाचार नहीं तो क्या कहा जाएगा। ऐसे कई सवाल खड़े हो गए हैं। दोगी मीडिया चुप्पी साधे है। उसे किसी नए एजेंडे की तलाश है, ताकि लोगों का ध्यान भटकाया जा सके। विपक्ष ने खासकर कांग्रेस ने भाजपा पर हमले तेज कर दिए हैं। इसे चंदा दो धंधा लो नाम दिया है। सूट-बूट और लूट की सरकार कहा है।