बिहार में एनडीए में सीटों का बंटवार हो गया है। खबरों के मुताबिक भाजपा ने लोजपा (आर) के नेता चिराग पासवान को काफी महत्व दिया है। कहा जा रहा है कि भाजपा ने उन्हें पांच सीटें दी हैं। उनके चाचा पशुपति पारस को निराशा हाथ लगी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार चिराग पासवान को तवज्जो दिए जाने को स्वीकार करेंगे। चिराग पासवान नीतीश कुमार के सबसे मुखर विरोधी रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को ऐसा घाव दिया, जो आज तक भरा नहीं है। नीतीश कुमार की पार्टी पहले या दूसरे नंबर की पार्टी रहती थी, वह तीसरे नंबर आ गई और आज भी वह तीसरे नंबर की ही पार्टी है। 2020 चुनाव में चिराग पासवान ने जदयू की हर सीट पर अपना प्रत्याशी दिया था। इसके पीछे भाजपा का समर्थन बताया गया था। इसी के बाद नीतीश कुमार ने पशुपति पारस को चिराग से अलग करके लोजपा को तोड़ दिया था।

खबरों के मुताबिक भाजपा 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जदयू का एक सीट कम हो रहा है और वह 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। चिराग पासवान को पांच सीटें मिली है. हाजीपुर भी उन्हें मिला है। उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की पार्टी को एक-एक सीट मिला है। चर्चा है कि एनडीए में चिराग को तवज्जो मिला है, वहीं उपेंद्र कुशवाहा की उपेक्षा की गई है। 2014 में वे एनडीए के साथ थे और तीन सीटों पर लड़े थे। तीनों जीते थे। इस बार उन्हें दो सीटें मिलने की उम्मीद थी, लेकिन एक सीट पर संतोष करना पड़ रहा है। भाजपा के साथ जाकर वे साफ-साफ नुकसान में दिख रहे हैं। जीतन राम मांझी को बी दो सीटें मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें भी एक सीट से संतोष करना पड़ रहा है।

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सीटों के तालमेल के बाद सिर्फ चिराग पासवान उत्साहित दिख रहे हैं। पशुपति पारस की रालोजपा, उपेंद्र कुशवाहा, मांझी और जदयू की तरफ से उत्साह वाले बयान नहीं आए हैं। बिहार में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी एनडीए के सभी घटकों के यहां जा कर मुलाकात कर रहे हैं या उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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