जेएनयू के छात्र शरजील इमाम चार साल से जेल में बंद हैं। अब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वह शरजील इमाम की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई करके अपना फैसला दे। इसी के साथ शरजील की रिहाई की उम्मीद बंध गई है। विगत वर्षों में अनेक संगठनों, प्रमुख और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने शरीजल की रिहाई की मांग उठाई है, लेकिन कोर्ट ने इस मामले में कभी गंभीरता नहीं दिखाई। इससे न्यायिक प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हाईकोर्ट को दिए आदेश में कहा कि उनकी जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई पूरी करके फैसला दें। शरीजल 2020 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद से जेल में बंद हैं। उन पर दंगे की साजिश रचने का आरोप है। वे यूएपीए के तहत जेल में रखे गए हैं। दंगा सीएए के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान भड़का था, तब शरजील जेएनयू से पीएचडी कर रहे थे।
शरजील के वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि शरजील की जमानत के लिए 64 बार याचिका लिस्ट हो चुकी है। उनकी जमानत याचिका 2022 से लंबित है। दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वे कोई दबाव नहीं दे रहे हैं। उनका सिर्फ यही कहना है कि जमानत याचिका पर कोर्ट फैसला दे। शरजील की जमानत पर अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
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शरजील बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने आईआईटी से इंजीनयरिंग करने के बाद आधुनिक इतिहास में पढ़ाई करने के लिए जेएनयू ज्वाइन किया था। ऐसे अनेक मामले हैं, जिसमें वर्षों से लोग जेल में बंद हैं। कोई चार्जशीट भी दिखाल नहीं की गई है।
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