शाहनवाज जाएंगे विधान परिषद, क्या भाजपा उन्हें मंत्री भी बनाएगी
भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन लंबे इंतजार के बाद किसी सदन के सदस्य होंगे। राजनीतिक हलके में यह सवाल घूम रहा है कि उन्हें परिषद भेजने की क्या वजह है?
राज्य में विधान परिषद की हाल में खाली हुई दो सीटों पर चुनाव होना है। दोनों सीटें भाजपा की थीं, पर बदले राजनीतिक हालात में अब उसे एक ही सीट मिल पाएगी। इस सीट के लिए पार्टी ने पूर्व सांसद और केंद्र में मंत्री रह चुके सैयद शाहनवाज हुसैन को प्रत्याशी बनाया है। इस तरह छह साल वनवास में रहने के बाद अब वे किसी सदन के सदस्य होंगे।
फिलहाल राज्य मंत्रिमंडल में एक भी सदस्य मुस्लिम समुदाय का नहीं हैं। ऐसे में राजनीतिक हलके में यह सवाल बना हुआ है कि क्या भाजपा अपने कोटे से उन्हें मंत्री भी बनाएगी? सवाल यह भी है कि हाल के दिनों तक हाशिये पर रहे शाहनवाज के अच्छे दिन आने की क्या वजह है।
मालूम हो कि 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर की सीट जदयू के खाते में चली गई थी। 2014 में उनकी हार के बाद यह माना जा रहा था कि उनकी हार में उन्हीं की पार्टी के एक कद्दावर नेता का हाथ है।
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विधान परिषद सदस्य भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा जाने तथा विनोद नारायण झा के विधायक बनने के कारण सीटें रिक्त हुई हैं। विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी होने का लाभ राजद को मिलेगा और एक सीट उसके खाते में जा सकती है। इस प्रकार भाजपा को एक सीट का नुकसान होगा। विधान परिषद चुनाव 28 जनवरी को होना है। नामांकन की अंतिम तिथि 16 जनवरी है।
दो सीटों के लिए होनेवाले चुनाव में दूसरे प्रत्याशी के बतौर वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी का नाम लिया जा रहा है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सहनी को राज्यपाल कोटे से मनोनीत होना पड़ेगा, क्योंकि फिलहाल वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। बीजेपी केंद्रीय मुख्यालय से जारी उम्मीदवारों की लिस्ट में यूपी में होनेवाले द्विवार्षिक विधान परिषद चुनावों के लिए भी छह उम्मीदवारों के नामों का एलान किया गया है।
माना जा रहा है कि एक सीट पर राजद अपने उम्मीदवार खड़े करेगी. हालांकि, ये दोनों सीटें बीजेपी के कब्जे में थीं लेकिन अब उप चुनाव में बीजेपी को एक सीट का नुकसान उठाना पड़ सकता है. राजद की तरफ से फिलहाल उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं हो सका है. संख्या बल के लिहाज से राजद सहयोगी दलों के सहयोग से एक सीट पर उम्मीदवार की जीत तय कर सकती है. ऐसे में बीजेपी के खाते से एक सीट झटक सकती है.