शिक्षामंत्री Chandrashekhar के समर्थन में RJD के बाद लेफ्ट भी
रामचरितमानस के कुछ अंशों को नफरती बतानेवाले बिहार के शिक्षामंत्री Chandrashekhar के समर्थन में RJD के बाद अब CPIML भी मैदान में उतरा।
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस के कुछ अंश, आरएसएस के गुरु गोलवरकर की किताब बंच ऑफ थॉट तथा मनु स्मृति को नफरत फैलाने वाला बताया। संघ की किताब बंच ऑफ थॉट तथा मनु स्मृति को नफरती कहने पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं है, लेकिन रामचरित मानस के अंश को शूद्र तथा ‘नीच जाति’ के खिलाफ बताए जाने पर काफी प्रतिक्रिया हुई है। एक संत परमहंस ने मंत्री का जीभ काटने वाले को 10 करोड़ इनाम देने की घोषणा कर दी है। उस संत की कोई आलोचना नहीं कर रहा, लेकिन मंत्री चंद्रशेखर निशाने पर हैं।
इधर, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के पक्ष में दलित संगठन खुल कर बोल रहे हैं। शुक्रवार को राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद ने प्रेस से कहा कि पूरा राजद चंद्रशेखर के साथ खड़ा है। अब नई खबर यह है कि महागठबंधन सरकार का समर्थन करनेवाले भाकपा माले ने भी खुल कर चंद्रशेखर का समर्थन किया है।
माले के पॉलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा ने लगातार कई ट्वीट करके ब्राह्मणवादियों को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा, हिन्दू धर्म के भीतर ऊंच नीच का भाव!इसपर अगर कोई नही बोलता है तो समझिए कि वह मनुष्य नही है! #शिक्षामंत्री के बयान पर हंगामा करने वाले लोग खुलकर क्यों नही बोलते कि मनुस्मृति का विधान ही भारत का विधान है!
हिन्दू धर्म के भीतर ऊंच नीच का भाव!इसपर अगर कोई नही बोलता है तो समझिए कि वह मनुष्य नही है!#शिक्षामंत्री के बयान पर हंगामा करने वाले लोग खुलकर क्यों नही बोलते कि मनुस्मृति का विधान ही भारत का विधान है!
— Dhirendra Jha (@dhirendra_ml) January 14, 2023
धीरेंद्र झा ने पटना महावीर मंदिर न्यास के आचार्य किशोर कुणाल को भी जवाब दिया। कुणाल ने कहा था कि रामचरितमानस में शूद्र पशु नारी नहीं, क्षुद्र पशु मारी कहा गया है। इस पर धीरेंद्र झा ने कहा-आचार्य कुणाल की ढोल गंवार…की व्याख्या सही नही है। तत्कालीन समाज के मूल्यबोध यही था जिसे तुलसीदास ने लिखा है जो लोगों को आहत करने वाला था। धीरेंद्र झा ने यह भी कहा कि शिक्षामंत्री ने बात तो सही कही है! और ऐसा कहने वाले वे पहले व्यक्ति नही हैं! लेकिन भाजपाई-आरएसएस विमर्श के वर्चस्व के दौर में यह कहना साहस की बात है! कुमार विश्वास पर कहा-हिंदी साहित्य के इतिहास के छात्र को इस सोच के साथ रियेक्ट नही करना चाहिए।आपको अच्छा नही लग सकता है तो मानस की कुछ पंक्तियां किसी को आहत करने वाली हो सकती है!हिंदी साहित्य के आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की समझ पर आप क्या बोलेंगे?
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