शिक्षिका को मुस्लिम बच्चे के पिता को राखी बांधनी चाहिए : अखिलेश
शिक्षिका को मुस्लिम बच्चे के पिता को राखी बांधनी चाहिए : अखिलेश। उस शिक्षिका के मन में पश्चाताप होगा और उसके मन में दुष्प्रचार से जन्मी नफरत भी दूर होगी।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर के हिंदू-मुस्लिम बच्चों को गले मिलवाने के प्रयास का स्वागत करते हुए कहा कि जिन लोगों ने यह काम किया, उन्हें शिक्षिका को भी इस बात के लिए तैयार करना चाहिए कि वह मुस्लिम बच्चे के पिता को राखी बांधे। ऐसा करने से दुष्प्रचार के कारण उसके मन में जन्मी नफरत भी दूर होगी।
अखिलेश यादव ने रविवार को ट्वीट किया-बच्चों का गले मिलना एक सकारात्मक संदेश है क्योंकि प्रेम का पाठ पढ़ाने से ही सच्चा हिंदुस्तान बरक़रार रहेगा। अब इससे एक क़दम आगे बढ़कर मेलमिलाप करानेवालों को उस शिक्षिका से बच्चे के पिता को राखी भी बँधवानी चाहिए क्योंकि समस्या की असली जड़ बच्चों के बीच दुराव की नहीं है बल्कि उस शिक्षिका के हृदय में दुष्प्रचार से जन्मायी गयी घृणा की है। आशा है वो बड़े मन से पश्चाताप भी करेंगी और आजीवन प्रायश्चित के साथ ये संकल्प भी कि वो अब ताउम्र बच्चों को प्रेम का संदेश देंगी और उन अमानवीय-असामाजिक विचारों और तत्वों को सदैव के लिए अपने से न केवल दूर रखेंगी वरन उनके ख़िलाफ़ आवाज़ भी उठाएंगी। एक शिक्षक संस्कृति का निर्माण भी कर सकता है और विनाश भी। सच्चा शिक्षक दूसरों की गलती का ही नहीं अपनी गलती का भी सुधार करता है। हमारी यही कामना है कि वो न स्वयं किसी नकारात्मक प्रचार का हिस्सा बनें और नहीं किसी और को उसका शिकार होने दें। क्षमा से बड़ी शक्ति और प्रेम का प्रतीक और कुछ नहीं हो सकता।
बच्चों का गले मिलना एक सकारात्मक संदेश है क्योंकि प्रेम का पाठ पढ़ाने से ही सच्चा हिंदुस्तान बरक़रार रहेगा।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 26, 2023
अब इससे एक क़दम आगे बढ़कर मेलमिलाप करानेवालों को उस शिक्षिका से बच्चे के पिता को राखी भी बँधवानी चाहिए क्योंकि समस्या की असली जड़ बच्चों के बीच दुराव की नहीं है बल्कि उस… pic.twitter.com/kQOHtyiZhC
हालांकि कई लोगों ने अखिलेश यादव के सुझाव पर सवाल भी उठाया है। सेंट्रल बोर्ट ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के पूर्व सदस्य गांधीवादी मेराज हुसैन ने लिखा-सामाजिक तानेबाने को बनाए रखना ज़रूरी है लेकिन मुजरिम को उसके मुक़ाम तक पहुँचाना उससे ज़रूरी। मैं मानता हूँ कि यह घटना समाज का प्रतिबिंब है और अगर हम सज़ा न देकर मामले को यू ही रफ़ा दफ़ा करते हैं तो आगे भविष्य में भी ऐसी घटनाएँ और बढ़ेंगी। अतः आपको इस मसले में गिरफ़्तारी के लिए ज़ोर लगाना चाहिए ना कि कवर अप के लिए।
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