शिक्षित महिलाओं की प्रथम गुरु हैं सावित्रीबाई फुले-मंजूबाला

कांग्रेस नेत्री व बाबु धाम ट्रस्ट की अध्यक्षा मंजुबाला पाठक ने कहा- सावित्रीबाई ने स्त्री शिक्षा के लिए संघर्ष किया और देश में पहला बालिका विद्यालय भी खोला।

कांग्रेस नेत्री और बाबु धाम ट्रस्ट की अध्यक्षा मंजुबाला पाठक जी ने सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाया। उन्होने कार्यक्रम में कहा की सावित्री बाई फूले ऐसी शख्स थी जिन्होंने समाज द्वारा लड़कियों की शिक्षा के विरोध के बावजूद उन्हें शिक्षित करने का प्रण लिया। उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। सावित्रीबाई फुले एक ऐसी ही शख्स है जिन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए न केवल संधर्ष किया बल्कि पहली बार उनके लिए बालिका विद्यालय की भी स्थापना की।

शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का ही विकास नहीं करती है बल्कि उसे पुरातन व रूढ़ मान्यताओं के गहरे भंवर से निकालकर प्रकाश की ओर भी लाती है। महिलाओं के संदर्भ में शिक्षा ने यही कार्य किया भी, उन्हें न केवल पुरातन रूढ़ियों की बेड़ियों से आजाद किया वरन् उन्हें एक खुला आसमान दिया। जहां वह अपने सपनों की उड़ान को भर सकीं। उन्नीसवीं सदी से पूर्व तक हमारे ही समाज में स्त्री शिक्षा प्रतिबंधित थी जो थोड़ी बहुत शिक्षा दी भी जाती थी उसका मुख्य केंद्र परिवार व पाक कला में निपुणता थी।

इससे अधिक समाज में स्त्री शिक्षा का कोई व्यवहार नहीं था। समाज में सर्वाधिक महिलाएं बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह का विरोध, अशिक्षा व अंधविश्वास की कुरूतियों से बंधी थी। कहा जा सकता है कि भारतीय समाज में स्त्री चेतना का स्वर को सावित्री बाई फूले ने प्रस्फुटित किया।
उक्त बातें मिडिया से बाबु धाम ट्रस्ट की अध्यक्षा और कांग्रेस नेत्री मंजुबाला पाठक ने कहा। साथ ही कुछ महिलाओं की उपस्थिति में जयंती भी मनाया।
मंजुबाला पाठक ने बताया की उन्होंने अपने बाबु धाम ट्रस्ट के माध्यम से गरीब, पिछड़े और दलित महिलाओं के विकास और स्वावलंबन हेतु अनेकों कार्य किए।

मंजुबाला पाठक ने महिलाओं के कौशल विकास और मजबूती के लिए बाबु धाम ट्रस्ट निःशुल्क शिक्षण संस्थान खोल रखा है।साथ ही महिलाओं के सिलाई कटाई और ब्यूटी पार्लर के प्रशिक्षण भी करवाती है।
महिलाओं के बीच माहवारी पैड और कपड़ो का भी निःशुल्क वितरण करती है।

By Editor


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