केंद्र की एनडीए सरकार के प्रमुख सहयोगी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने बिहार में चल रहे गहन मतदाता पुनरीक्षण पर सवाल खड़ा कर दिया है। उनकी पार्टी के सांसदों ने चुनाव आयोग से मिल कर लिखित प्रतिवाद में कहा है कि आयोग मतदाताओं की नागरिकता का प्रमाण न मांगे। उसके बाद से भाजपा में हड़कंप है और जदयू संकट में है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि अगर नायडू अड़ गए, तो क्या बिहार में चल रहा मतदाता पुनरीक्षण रोक दिया जाएगा।

चद्रबाबू नायडू की पार्टी ने दो टूक शब्दों में कहा है कि बिहार में मतदाता पुनरीक्षण नहीं होना चाहिए। इससे लाखों मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। पार्टी ने बड़ा सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग द्वारा नागरिकता प्रमाण मांगे जाने पर आपत्ति जताई है। इधर भाजपा और जदयू लगातार चुनाव आयोग के पक्ष में बयान दे रहे हैं। सबसे बड़ा संकट जदयू के लिए है। जदयू के तमाम कार्यकर्ता मतदाता पुनरीक्षण पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन नेतृत्व भाजपा के साथ खड़ा है।

इधर पूरे प्रदेश से मतदाता पुनरीक्षण में गड़बड़ियों की शिकायत का आना जारी है। इस संबंध में कई वीडियो वायरल हैं। किसी में फार्म भरने के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं, तो कहीं भाजपा के नेता बीएलओ के साथ बैठकर फार्म ले रहे हैं।

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार तथा सभी वाम दलों ने मतदाता पुनरीक्षण में गड़बड़ियों को लेकर आवाज उठाई है। हालांकि आयोग ने उनकी शिकायतों को अब तक सुनने से मना कर दिया है। इससे आम लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है।

 

By Editor