सिसोदिया के बाद क्या Tejashwi होंगे गिरफ्तार
सीबीआई द्वारा मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद क्या भाजपा का तोता #TejaahwiYadav को गिरफ्तार कर सकती है? पढ़िए ऐसी क्यों है संभावना।
कुमार अनिल
जिस दिन राहुल ने रायपुर में मोदी-अडानी के रिश्ते पर सवाल उठाया, उसी दिन सिसोदिया गिरफ्तार। इसे संयोग नहीं, प्रयोग माना जा रहा।
दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में माना जा रहा है कि पिछले रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रायपुर अधिवेशन में अडानी-मोदी के रिश्ते पर सवाल उठाया था, उसी खबर को दबाने के लिए सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई। यह पहले से तय था कि राहुल सवाल उठाएंगे। उसके बाद इसका बड़ी खबर बनना भी तय था। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि राहुल के उस हमले से ध्यान हटाने के लिए मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई। हुआ भी वैसा ही, पूरा मीडिया आप, केजरीवाल और सिसोदिया की गिरफ्तारी को दिखाता रहा। अखबारों में भी राहुल का अडानी-मोदी पर हमले की खबर दब गई। सिसोदिया की खबर को प्रमुखता मिल गई। कोलकाता के टेलिग्राफ ने मंगलवार को इसी एंगल से विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है-How to harm Congress? Make AAP the victim
अब माना जा रहा है कि अगर 2024 चुनाव से पहले कांग्रेस और राहुल गांधी ने अडानी-मोदी के रिश्ते पर आक्रामकता जारी रखी तो मोदी और भाजपा उनके सवाल का जवाब देने का साहस नहीं कर पाएंगे। वैसे राहुल का प्रयास है कि वह अदानी घोटाले से मोदी को जोड़ने का मिशन जारी रखेंगे। मोदी पर हमला करने में तेजस्वी पूरी निडरता से जुटे है। इस मुद्दे को तूल दिया तो भाजपा इसे कभी बरदाश्त नहीं करेगी।
भाजपा का भविष्य प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर ही पूरी तरह निर्भर है। राहुल ठीक उसी छवि को तार-तार करना चाहते हैं। ऐसा होता दिखा, तो फिर एक बार ध्यान बंटाने के लिए विपक्ष के किसी बड़े नेता की गिरफ्तारी हो सकती है। इन नेताओं में सबसे ऊपर तेजस्वी यादव का नाम माना जा रहा है क्योंकि वे भाजपा के खिलाफ नरम होते नहीं दिख रहे। तेजस्वी बिहार जैसे बड़े राज्य के सबसे बड़े दल के नेता है, जाहिर है उनकी गिरफ्तारी विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा बन जाएगी और अडानी का मामला कहीं पीछे छूट जाएगा।
यहां यह सवाल भी उठ सकता है कि अडानी मुद्दे को कमजोर करने के लिए विपक्ष के किसी दूसरे नेता जैसे अखिलेश यादव या ममता बनर्जी की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो सकती। तो इसका जवाब यही है कि ममता बनर्जी अब प्रधानमंत्री मोदी पर उस तरह हमलावर नहीं रहीं, जैसा पहले थीं और अखिलेश यादव भी सीधे प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को घेरने से बचते रहे हैं। लेकिन तेजस्वी यादव के साथ ऐसा नहीं है। हाल में पूर्णिया की रैली में भी तेजस्वी यादव ने अडानी का मामला उठाया था और पूछा था कि उनकी जांच क्यों नहीं हो रही?
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