बिहार प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा है कि जब बिहार की जनता का सवाल विपक्ष नहीं उठाएगा तो सच और सच्चाई से लोग अवगत कैसे होंगे। जो प्रश्न स्मार्ट मीटर के संबंध में हमने उठाया था उसका एक भी जवाब राज्य सरकार के स्तर से नहीं दिया गया है। हमने सरकार से पूछा है कि पहले के मीटर और अब के स्मार्ट मीटर के संबंध में जो बातें सामने आई है और आमलोगों की आवाज को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने स्मार्ट चीटर कहा है उस पर थर्ड पार्टी के समक्ष जांच करवाने की बात सरकार ने क्यों नहीं की। आम जनता को बिना विश्वास में लिए जबऱिया स्मार्ट मीटर क्यों लगाया जा रहा है? इसके लिए बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड के लेटर पैड पर पंकज कुमार पाल, अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक ने सभी जिलाधिकारियों को बल प्रयोग के साथ मीटर लगाने की बात अपने पत्रांक संख्या 19/सीएमडी, दिनांक 15.09.2024 को क्यों लिखा? क्या यह मुख्यमंत्री की सहमति से पत्र लिखा गया था। साथ ही मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि क्या उनकी सहमति से ही बल प्रयोग की बात पत्र में लिखी गई है। सीएमडी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने में प्रशासन के स्तर से कार्रवाई की जाए और जबरदस्ती बलप्रयोग से स्मार्ट मीटर लगाने की बात के साथ यह भी कहा कि यह मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना का अंग है।

जगदानन्द सिंह ने राज्य सरकार से पूछा है कि 5 रूपये प्रति युनिट के हिसाब से बिजली खरीद कर 5.85 रूपये से 8 रूपये प्रति युनिट के हिसाब से क्या बिक्री नहीं की जा रही है। फिक्सड चार्ज और विद्युत शुल्क ये दोनों चार्ज क्यों लिए जा रहे है राज्य सरकार बताए। बिहार में बिजली का उत्पादन शुन्य है क्या यह आम लोगों को बताया गया है। जो बिजली बिल आ रही है उसमें गड़बडि़यां है, उस पर सवाल खड़ा किया गया है लेकिन उस पर जवाब अब तक नहीं आया है। बिहार में बिजली बिल के नाम पर लूट मचा हुआ है और इस मामले में षडयंत्र करने के पीछे जो थे उसका नाम नीतीश कुमार है। जब सरकार के उर्जा मंत्री के जवाब से काम नहीं चला तो मुख्यमंत्री को स्वयं आना पड़ा लेकिन वो भी आमजनों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं।

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इन्होंने आगे कहा कि खेती के लिए किसानों को केवल आठ घंटे ही बिजली क्यों दी जा रही है? भयंकर सुखाड़ के वक्त भी सरकार के स्तर से किसानों को खेती के लिए बिजली नहीं दी गई और किसानों के सोलह घंटे कटौती के बिजली को अन्य राज्यों को सस्ते दर पर बिजली बेची जा रही है। सच तो यह है कि 2023-2024 वर्ष में 22 सौ करोड़ की बिजली चार रूपये में 5280 मिलियन युनिट अन्य राज्यों को बेच दी गई। बिहार की खेती को बर्बाद करने के लिए डबल इंजन की सरकार दोषी है।

स्मार्ट मीटर : मुख्यमंत्री के बयान पर बिफरे तेजस्वी

By Editor


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