सोरेन ने पलट दी बाजी, 2024 में BJP दो सीट भी बचा ले, तो बड़ी बात
बिहार में जातीय जनगणना से पहले ही झारखंड में सोरेन सरकार ने बाजी पूरी तरह पलट दी। अब 2024 लोकसभा चुनाव में BJP दो सीट भी बचा ले, तो बड़ी बात।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक निर्णय से प्रदेश की पूरी राजनीति पलट कर रख दी। कैबिनेट ने जैसे ही 1932 खतियान और पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण की घोषणा की, वैसे ही झारखंड की राजनीति पूरी तरह बदल गई। सड़क पर लोग ढोल-नगाड़ों के साथ निकल पड़े। एक ही दिन होली और दिवाली दोनों मनी। झामुमो और महागठबंधन के हौसले उफान पर दिख रहे हैं, वहीं भाजपा को जैसे सांव सूंघ गया हो। वह सकते हैं। भाजपा सरकार ने स्थानीय होने का आधार 1985 बनाया था, लेकिन प्रदेश की मांग शुरू से 1932 खतियान रही है। हेमंत सरकार ने इसे लागू कर राज्य की राजनीति पूरी तरह बदल दी है। अब राज्यपाल के पास जो पत्र पड़ा है, वह शायद आलमीरे से निकल नहीं पाएगा।
जमशेदपुर के सामाजिक कार्यकर्ता विनोद लहरी ने कहा कि हिंदी क्षेत्रों में मंडल कमीशन लागू होने का जितना असर हुआ, उससे कहीं ज्यादा गहरे तक प्रभाव छोड़नेवाला है हेमंत सरकार का यह निर्णय। राज्य में महतो आबादी काफी है। इस आबादी में भाजपा का भी आधार था, जिसे उसे खोना पड़ सकता है। महतो आबादी 1985 को स्थानीय का आधार मानने को तैयार नहीं थी, जिसे भाजपा ने लागू किया था। वे 1932 खतियान की मांग कर रहे थे। इसी तरह आदिवासियों के बीच भी भाजपा को अपना आधार बचाए रखना मुश्किल होगा। इस एक निर्णय से भाजपा की राजनीति ध्वस्त हो गई है। वह चाह कर भी विरोध नहीं कर सकती।
उधर, झामुमो ने भाजपा पर मूल निवासी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए हल्ला बोल दिया है। हेमंत सरकार ने दलित, पिछड़ों और आदिवासी का आरक्षण कोटा भी बढ़ा दिया है। दलितों का आरक्षण 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अजजा का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 और पिछड़ों का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का एलान कर दिया है।
हेमंत सोरेन सरकार के इस फैसले का तात्कालिक और दूरगामी दोनों असर पड़ना तय है। तात्कालिक तौर पर भाजपा बैकफुट पर आ गई है। विधायकों की खरीद-फरोख्त भी अब नहीं चलेगी, क्योंकि कोई विधायक दल-बदल करके अपना भविष्य हमेशा के लिए खराब नहीं करना चाहेगा। झामुमो और कांग्रेस के भीतर जो लोग भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बारे में सोच रहे होंगे, वे अब हाथ खींच लेंगे।
हेमंत सरकार के इस फैसले का दूरगामी असर भी पड़ेगा। 2024 लोकसभा चुनाव में अब डेढ़ साल बचे हैं। 2019 में भाजपा को 11 तथा एक सहयोगी को एक सीट मिली थी अर्थात कुल 14 लोकसभा सीटों में 12 पर एनडीए को सफलता मिली थी। महागठबंधन को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी। अब बाजी पलट गई है। भाजपा अगर दो सीट भी जीत ले, तो उसके लिए बड़ी बात होगी।
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