हिमाचल में भाजपा की तिकड़म की हुई छीछालेदर
हिमाचल में भाजपा की तिकड़म की हुई छीछालेदर। कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिशें विफल। स्पीकर ने कांग्रेस के 6 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द की।
हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कराकर कम विधायक के बावजूद चुनाव जीतने से उत्साहित भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार को भी गिराने की कोशिश की, लेकिन इसमें वह कामयाब नहीं हो पाई। इस बीच स्पीकर ने कांग्रेस के बागी छह विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है। इसके बावजूद सरकार को बहुमत हासिल है और सुखविंदर सुक्खू मुख्यमंत्री बने रहेंगे। खबरें आ रही हैं कि कथित बड़े कॉरपोरेट भी कांग्रेस सरकार को गिराने में पर्दे के पीछे से सक्रिय थे। याद रहे सुक्खू सरकार ने पिछले साल अडानी की कंपनी पर छापे मारे थे और टैक्स में गड़बड़ी की आशंका जताई थी। अडानी की सीमेंट कंपनियों को लेकर भी विवाद हो चुके हैं।
हिमाचल में कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के कारण ज्यादा विधायक होते हुए भी राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। उसके 40 विधायक थे, जबकि भाजपा के 25 विधायक ही हैं। 40 में से छह ने क्रॉस वोटिंग की। इससे कांग्रेस का वोट घट कर 34 हो गया। उधर कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, साथ ही तीन निर्दलीय जो सरकार को समर्थन दे रहे थे, उन्होंने भी भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया। इस प्रकार कांग्रेस तथा भाजपा दोनों के वोट 34-34 हो गए। फिर पर्ची निकाल कर भाजपा प्रत्याशी को विजयी बना दिया गया। उसके बाद सरकार के गिरने की स्थित पैदा हो गई।
इधर कांग्रेस नेतृत्व ने संकट टालने के लिए कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को शिमला भेजा। हरियाणा कांग्रेस के नेता हुड्डा को भी भेजा गया। डीके शिव कुमार ने संकट को टाल दिया है और सरकार गिराने की साजिश विफल हो गई।
कांग्रेस सरकार गिराने में भाजपा ही नहीं कॉरपोरेट भी सक्रिय था। याद रहे पिछले साल सुक्खू सरकार ने अडानी ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें टैक्स में गड़हड़ी की शंका जताई गई थी। हिमाचल में अडानी ग्रुप की सिमेंट फैक्ट्री भी है। वहां ट्रक चालकों ने हड़ताल की थी। सुक्खू सरकार ने अडानी ग्रुप पर दबाव बनाया कि वह माल भाड़े का रेट तय करे, तभी सिमेंट फैक्ट्री चलेगी। मालभाड़ा तय नहीं होने से 50 हजार मजदूर प्रभावित हो रहे थे। उनकी आमदनी बंद हो गई थी। सुक्खू सरकार ने अडानी ग्रुप को चेताया कि वह रेट तय नहीं करती है, तो सरकार कार्रवाई करेगी। सुक्खू ने कहा था कि अडानी ग्रुप को सरकार मनमानी करने की छूट नहीं दे सकती। इस तरह अडानी ग्रुप के साथ सरकार की रस्साकशी जारी थी। माना जा रहा है कि अडानी ग्रुप नहीं चाहता था कि राज्य में सुक्खू सरकार बनी रहे। इस तरह भाजपा के तिकड़म में कॉरपोरेट का हाथ होने की भी चर्चा है।
डीके शिवकुमार ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि सरकार पर कोई संकट नहीं है। मुख्यमंत्री ने भी माना है कि कुछ विधायकों की नाराजगी थी। उस नाराजगी को दूर कर दिया गया है। सरकार और विधायकों के बीच एक समन्वय समिति बना दी गई है।
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