इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
जब आप ताकत के मद में चूर होते हैं. आपके सर पर गुरूर का भूत सवार होता है. आप का अहंकार सबसे पहले आपके विवेक की हत्या कर देता है. और अहंकार के नशे में आपको पता भी नहीं चल पाता.
नीतीश कुमार बनाम सुनील सिंह के मामले में यही हुआ. सुनील सिंह राजद के विधान पार्षद थे. सदन में उन्होंने नीतीश कुमार को “पलटू” कह डाला था. नीतीश का अहंकार जाग गया. परिषद के सभापति को इशारा दे दिया कि इसे सदन से बाहर कीजिए. और परमानेंटली बाहर कीजिए. सभापति ने आचार समिति में मामाला भेज दिया. आचार समिति ने नीतीश के फरमान के मुताबिक काम किया और सिफारिश की कि सुनील की सदस्यता रद्द की जाये. यही हुआ.
सुनील सिंह अदालत पहुंचे. सुप्रीम कोर्ट गये. आज सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया किसी को पलटू कहना इतना बड़ा अपराध नहीं कि उसकी सदस्यता ही छीन ली जाये. चूंकि सुनील सात महीने से सदन से बाहर हैं. इतनी सजा ही काफी है. अब सुनील राजद की आवाज सदन में उठायेंगे.
इस बीच परिषद में उपचुनाव भी करा लिया गया। पर कोर्टी ने रिजल्ट पर रोक लगा दी। चुनाव कराना भी एक अहंकार ही था
पर… पर मामला यह है कि नीतीश को पलटू कहना अपराध कैसे है. आप अपनी बात से पलट जायें. अपने वादे सदे, अपने कथन, अपने कर्म से, अपने सिद्धांत से, आदर्श से, राजनीतिक प्रतबद्धता से पलट जायें तो आपको पलटू नहीं तो पोलोटो कहा जायेगा क्या ? दार्शनिक कहा जायेगा क्या ?
नीतीश जी आप खुद बताइए पलटू को क्या कहा जायेगा ?