सुनिए सरकार ! पंचायतों से पूछिए कोरोना से मौत की सही संख्या
बिहार सरकार कोरोना से मरे लोगों की जो संख्या बता रही, उस पर पटना हाईकोर्ट तक को विश्वास नहीं। कैसे मिलेगा मृतकों को न्याय? सही संख्या पंचायतें बता सकती हैं।
हर देश में देश अथवा मानवता की सेवा करनेवालों को मरणोपरांत सम्मान देने की परंपरा है। जो देश अपने मृतकों के साथ न्याय करता है, वही सभ्य माना जाता है। लेकिन हमारे यहां मृतकों की सही-सही संख्या जानने के लिए सरकार बिल्कुल इच्छुक नहीं है। वह कम से कम मृत्यु बताना चाहती है, जिससे कम लोगों को मुआवजा देना पड़े।
अबतक सिर्फ अस्पतालों को आधार बना कर मृतकों की संख्या निर्धारित करने की कोशिश की जा रही है। इसमें भी सौ झोल हैं। अगर सही संख्या जानने की इच्छा हो, तो सरकार को राज्य की 8386 पंचायतों से संख्या पूछनी चाहिए। यह कठिन कार्य नहीं है। इसे कम समय में बिना किसी खर्च के पता किया जा सकता है। पंचायतों को मालूम है कि मार्च से अबतक कितने लोग मरे।
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है और सरकार मरनेवालों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाती जा रही है। पर सरकार का जो रवैया है, उससे बिहार में मृतकों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाएगी। जिन्हें सर्दी-बुखार हुआ और गांव की दुकान से दवा खाई और बच नहीं सके, क्या उनकी मौत कोरोना से मौत नहीं माना जाना चाहिए? बिल्कुल माना जाना चाहिए। असल में, इन्हें ही मुआवजे की सबसे ज्यादा जरूरत है। जो अस्पताल तक भी नहीं पहुंच पाए, वे हमारे समाज के अंतिम व्यक्ति ही थे।
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पूरी दुनिया में यह बात स्थापित हो गई है कि भारत मरनेवालों का नाम छुपा रहा है। सरकार का कोई ऐसा प्रयास नहीं दिखता, जिससे महामारी से मरे लोगों की सही संख्या सामने आ सके।
कई विदेशी अखबारों ने अपने अपने ढंग से जानकारी इकट्ठा की और उनका आकलन 45 लाख तक लोगों के मरने का है।
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पंचायत प्रतिनिधियों से भी नौकरशाही डॉट कॉम की अपील है कि उन्हें खुद इस मामले में आगे आना चाहिए। उन्हें अपनी पंचायत में तीन-साढ़े तीन महीने में मरे लोगों की सूची सरकार को भेजनी चाहिए। सूची भेजकर उन्हें निश्चिंत नहीं होना चाहिए, बल्कि मृतकों को मरणोपरांत न्याय दिलाने का संघर्ष करना चाहिए।