सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के मतदाता पुनरीक्षण मामले में सुनवाई करते हुए गुरुवार को बड़ी बात कह दी। कोर्ट ने आयोग से कहा कि मतदाता बनने के लिए आधार कार्ड को भी मान्य दस्तावेज की श्रेणी में रखा जाए। कोर्ट ने राशन कार्ड तथा वोटर आईडी को भी मान्य दस्तावेज बनाने को कहा है। कोर्ट की इस टिप्पणी से बिहार के लोगों ने राहत की सांस ली है। उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट की बाच चुनाव आयोग मानेगा। मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग को अपना जवाब 21 जुलाई तक देने को कोर्ट ने कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धूलिया ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि आज जो डॉक्यूमेंट मांग रहे हैं, वो मेरे पास भी नहीं है। जस्टिस की इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया में लोग पूछ रहे हैं कि क्या अब भाजपा उन्हें भी बांग्लादेशी मानेगी।
चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाणपत्र नहीं है। इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील ने कपिल सिब्बल ने कहा कि लोगों की नागरिकता तय करना चुनाव आयोग का कार्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि जो डॉक्यूमेंट मांगा जा रहा है, उसमें जाति प्रमाणपत्र भी एक है। इस जाति प्रमाणपत्र के लिए आधार कार्ड देना जरूरी होता है। फिर आधार कार्ड को क्यों मान्य दस्तावेज की सूची में नहीं रखा गया है।
हालांकि कोर्ट ने चुनाव आयोग के पुरनरीक्षण पर रोक नहीं लगाई है। इसे भाजपा समर्थक अपनी जीत तथा विपक्ष की हार बता रहे हैं, जबकि आधार कार्ड को मान्य करने के कोर्ट के सुझाव पर वे चुप हैं। हालांकि अंतिम फैसला 28 जुलाई को बाद ही आएगा।