जब राज्य का उपमुख्यमंत्री एक विधायक के ‘घर में घुसके मारने’ की धमकी से डर जाये और बेटे की शादी का स्थान बदल दे ऐसे शासन और शासन के ऐसे इकबाल पर लानत है. और अगर डर के पीछे कोई राजनीति है तो ऐसी राजनीति भी शर्मनाक है.
इर्शादुल हक, एडिटर, नौकरशाही डॉट कॉम
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने, कथित तौर पर राजद विधायक तेजप्रताप यादव की धमकी से डर कर अपने बेटे उत्कर्ष के शादी समारोह का स्थल बदल दिया है. मोदी के निजी सहायक के बयान पर आधारित एक अंग्रेजी अखबार ने यह खबर छापी है. लेकिन उससे बड़ी बात यह है कि शैलेंद्रनाथ ओझ, जो मोदी के सहायक हैं के बयान पर आधारित न्यूज को खुद सुशील मोदी ने इंडोर्स किया है और अपने फेसबुक वॉल पर शेयर करते हुए लिखा है- ‘वेन्यु शिफ्टेड फॉर थ्रेट’. यानी हां हमने डर से शादी का आयोजन स्थल बदल दिया है.
याद ताजा हो कि तेजप्रताप यादव ने कथित तौर पर औरंगाबाद की सभा में कहा था कि सुशील मोदी ने उन्हें बेटे की शादी समारोह में आने की दावत दी है. उन्होंने कहा था कि जायेंगे तो वहीं पोलपट्टी खोल दूंगा और घर में घुस कर मारूंगा.
किसी भी राज्य सरकार के हाथ में प्रदेश का शासन और प्रशासन होता है. बिहार की 11 करोड़ जनता की सुरक्षा, अमन चैन और कानून व्यवस्था की जिम्मेदार राज्य की होती है. सरकार में शामिल होते ही तमाम मंत्री ईश्वर को साक्षी मान कर, संविधान, कानून व्यवस्था की हर कीमत पर रक्षा करने की शपथ लेते हैं. लेकिन एक उपमुख्यमंत्री, जब एक विधायक की धमकी से इतना डर जाये कि उन्हें अपने समारोह के स्थान को बदल देना पड़े तो ऐसे व्यक्ति को एक पल के लिए भी पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. जो अपनी हिफाजत तक कर पाने में समर्थ न हो, वह राज्य में कानून का राज क्या खाक कायम रखेगा.
फेसबुक पर मोदी की यह स्वीकारोक्ति कि हां उन्होंने धमकी के डर से समारोह स्थल को बदल दिया है, यह दर्शाता है कि उनके हाथ में इतना भी अधिकार नहीं कि वह लॉ ऐन आर्डर को बनाये रखने का साहस दिखा पायें. ऐसी स्वीकारोक्ति से मोदी यह भी साबित करते हैं शायद कि प्रदेश में लगातार बढ़ती हत्या, लूट और हिंसा को काबू में रख पाने में सक्षम नहीं हैं. हो भी कैसे सकते हैं क्योंकि जब वह एक विधायक की धमकी से भाग खड़े होते हों तो आम जन की हिफाजत का साहस क्योंकर दिखा पायेंगे.
मोदी की यह स्वीकारोक्ति यह भी दर्शाती है कि वह इस बात को भी कुबूल कर रहे हैं कि राज्य में कानून का राज नहीं है. गोया मोदी विपक्षी दलों के इस आरोप को भी कुबूल कर रहे हैं कि राज्य में महा जंगल राज है. सोचिए मोदी जी, जब आप सत्ता से बाहर थे तो हर हफ्ते फेसबुक पर हत्या लूट डकैटी की सूची जारी करके कहते थे कि बिहार में फिर से जंगल राज आ गया है. लेकिन तबकि सरकार के किसी मंत्री ने कभी स्वीकार नहीं किया था कि उसे विपक्ष के किसी विधायक से खतरा है. पर आपने स्वीकार कर लिया. अगर आपने स्वीकार कर ही लिया तो यह भी घोषित कर दीजिए कि आप से राज्य नहीं संभल रहा है.
और हां आपने यह बयान किसी राजनीतिक उद्देश्य के मद्देनजर अपने निजी सचिव शैलेंद्र ओझा से जारी करवाया है, और इस बयान को फेसबुक पर सार्वजनिक रूप से इंडोर्स किया है तो यह राजनीति का ओछा रूप है. ऐसी संभावना ज्यादा ही है कि आपने राजनीतिक मंशा से यह बयान दिलवाया होगा. आपने जिस भी मकसद से यह बयान अपने निजी सहायक से दिलवाया हो, इससे आपकी कमजोरी और लाचारी ही झलकती है.
जहां तक आयोजन स्थल बदलने की बात है तो आपके करीबी लोगों का खुद कहना है कि जिस राजेंद्र नगर के शखा मैदान में यह आयोजन होना था वहां जाम की समस्या उत्पन्न हो सकती थी और आगंतुकों को कठिनाई हो सकती थी लिहाजा इस आयोजन को वेटनरी कालेज ग्राउंड में शिफ्ट करने के पीछे उद्देश्य यह है कि वहां हजारों लोगों के पहुंचने और हजारों वाहनों की पार्किंग की समस्या नहीं रहेगी. मोदीजी आपको स्पष्ट करना चाहिए कि क्या सचमुच आप डरे सहमे हैं या राजनीतिक मंशा से डर जता रहे हैं?