DLF रिश्वत मामले में लालू बेदाग: तो मोदी ने रचा था षड्यंत्र!
2017 में रातों रांत नीतीश कुमार ने जिस भ्रष्टचार के मुद्दे पर राजद से अलग हो कर भाजपा संग सरकार बना ली थी उसमें लालू का कोई लेना देना था ही नहीं.
सीबीआई ने डीएलएफ रिश्वत मामले में लालू प्रसाद के खिलाफ कोई सुबूत नहीं पाया और इस मामले में उन्हें बरी कर दिया गया है.
गौरतलब है कि इस रिश्वत मामले को भाजपा नेता सुशील मोदी ने बेतहाशा तूल दिया था. इसके बाद नीतीश कुमार ने इस मामेल को मुद्दा बनाते हुए राजद से अपना पक्ष रखने को कहा था. तब राजद उसी समय समझ चुका था कि नीतीश पलटी मारने के लिए ऐसी स्थिति बना रहे हैं. इसलिए राजद अपने स्टैंड से टस से मस नहीं हुआ. कुछ दिनों बाद नीतीश कुमार ने राजद से गठबंधन तोड़ा लिया और रात होते होते उन्होंने भाजपा के समर्थन से फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी.
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भाजपा नेताओं ने तब आरोप लगाया था कि लालू प्रसाद ने 2007 में रियल स्टेट की कम्पनी डीएएलफ से अपनी कागजी कम्पनी एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर पांच करोड़ की कम्पनी मात्र चार लाख में खरीदी थी. सुशील मोदी का दावा था कि लालू यादव ने एबी एक्सपोर्ट नामक कम्पनी अपने बेटे व बेटियों के नाम पर बनायी थी.
लेकिन अब इस मामले में सीबीआई ने जिस तरह से लालू प्रसाद को क्लीन चिट दी है उससे अब साफ हो गया है कि सुशील मोदी ने राजद व लालू परिवार को बदनाम करने की कोशिश की थी. ताकि इसी बहाने नीतीश कुमार को राजद के समर्थन वाली सरकार को गिरा कर भाजपा के साथ मिलन कर सरकार बनाने का बहाना मिल जाये.
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याद रहे कि 2015 के विधान सभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने भाजपा गठबंधन से नाता तोड़ कर राजद के साथ गठबंधन में आ गये थे. उस चुनाव में राजद-जदयू गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला था. लेकिन यह सरकार महज डेढ़ साल चली थी.