कुमार अनिल
वर्ष 2020 के चुनाव में चिराग फैक्टर के कारण राजद और गठबंधन को मदद मिली थी। इस बार लोजपा-आर प्रमुख चिराग पासवान पूरी तरह भाजपा के साथ हैं, लेकिन इस कमी की भरपाई करने की रणनीति तेजस्वी यादव ने बना ली है।
पिछली बार 2020 में चिराग पासवान ने 137 प्रत्याशी दिए थे। हालांकि इतनी बड़ी संख्या में चुनाव लड़ने के बावजूद चिराग पासवान को खास फायदा नहीं हुआ था। उनकी पार्टी सिर्फ एक सीट पर ही चुनाव जीत सकी। पार्टी 9 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। इनमें अधिकतर सीटों पर भाजपा-जदयू से विद्रोह करने वालों को लोजपा ने प्रत्याशी बनाया था।। ये सीटें थी ब्रह्मपुर, दिनारा, हरनौत, जगदीशपुर, कदवा, कसबा, ओबरा, रघुनाथपुर , रुपौली और मटिहानी। अधिकतर सीटों पर राजद और कांग्रेस प्रत्याशी जीते। इन नौ सीटों के अलावा लोजपा के कारण एनडीए खासकर जदयू को भारी नुकसान हुआ और पार्टी तीसरे नंबर पर चली गई। उसके सिर्फ 43 प्रत्याशी जीत सके।
इस बार तेजस्वी यादव चिराग फैक्टर की कमी की भरपाई के लिए जदयू के अतिपिछड़ा जनाधार में सेंध लगाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। पिछले डेढ़ महीने में वे अतिपिछड़ों की तीन रैलियां कर चुके हैं। उनकी माई-बहिन योजना महिलाओं को आकर्षित कर रही है। उन्होंने दरभंगा में घोषणा के बाद हर जिले में महिलाओं की अलग से रैली की है। रैलियों में मंच पर अतिपिछड़ा समुदाय की महिलाओं को ज्यादा स्पेस दे रहे हैं। राजद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार यादवों को कम टिकट दिया जाएगा और अतिपिछड़ों को ज्यादा टिकट देने की तैयारी है।
तेजस्वी यादव दलितों के उस हिस्से पर जोर दे रहे हैं, जो जदयू के साथ है। कल ही पटना में दलितों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस काम में वे कांग्रेस की भी मदद ले रहे हैं। राहुल गांधी ने हाल में स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती सभा को संबोधित किया था, जिसमें पासी समुदाय की अच्छी भागीदारी थी। कुल मिला कर तेजस्वी यादव अतिपिछड़ों तथा दलितों में आधार विस्तार करके मुकाबले को कड़ा बनाने में लगे हैं।