तेजस्वी का असम दौरा, चुनाव में किसे फायदा, किसे नुकसान
तेजस्वी बिहार के पहले बड़े नेता हैं, जो असम चुनाव में दावेदारी के लिए गुवाहाटी पहुंचे। राजद के चुनाव लड़ने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?
कुमार अनिल
तेजस्वी यादव के असम दौरे ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया। वहां उन्होंने दो बातें कहीं। पहला यह कि वे बिहार की तरह असम में भी भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने के पक्ष में है। दूसरी बात उन्होंने यह कही कि वे चाहते हैं कि राजद फिर से राष्ट्रीय दल बने।
तेजस्वी यादव सबसे ज्यादा किस बात से खुश होंगे? गुवाहाटी में राजद समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया। लेकिन इससे भी बड़ी बात है एआईयूडीएफ के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य मौलाना बदरुद्दीन अजमल से उनकी मुलाकात।
मौलाना बदरुद्दीन ने न सिर्फ तेजस्वी का गर्मजोशी से स्वागत किया, बल्कि यहां तक कहा कि तेजस्वी यादव देश में युवा आइकन के रूप में उभरे हैं। वे लिबरल और डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स की मजबूत आवाज हैं। उन्होंने तेजस्वी का स्वागत करते अपनी तस्वीर भी ट्विट की है।
मन की बात पर भारी पड़ा तेजस्वी का मुद्दा
मौलाना बदरुद्दीन अजमल असम की राजनीति के एक प्रमुख ध्रुव हैं। वहां कांग्रेस के नेतृत्व में आंचलिक गण मोर्चा बना है, जिसमें कांग्रेस के अलावा एआईयूडीएफ, सीपीआई, सीपीएम और माले शामिल है। पिछली बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, जिसका फायदा भाजपा को मिला। माना जाता है कि एक खास वर्ग के वोट बंट गए।
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असम में बड़ी संख्या में बिहार-उत्तर प्रदेश के हिंदीभाषी लोग भी दशकों से रहते आए हैं। मौलाना बदरुद्दीन ने जिस प्रकार तेजस्वी का स्वागत किया, इसकी वजह उनकी यह चिंता हो सकती है कि किस प्रकार हिंदीभाषी मतदाताओं को भाजपा में जाने से रोका जाए।
भाजपा की भारी-भरकम टीम के खिलाफ पिछले बिहार विस चुनाव में तेजस्वी ने जिस प्रकार अपनी ताकत दिखाई है, उसने असम की राजनीति में भी उनके लिए स्पेस बनाया है। असम में विस की 126 सीटें हैं। देखना है कि वहां राजद अपने लिए कितनी सीटें ले पाता है।