तेजस्वी के छह मंत्र : भूल जाइए 17 साल पहले की बात, यह RJD-2 है
बिहार में सत्ता और विपक्ष में तीखा माइंड गेम चल रहा है। पहले फेज में विपक्ष भारी दिखा, अब तेजस्वी यादव भारी पड़े। अपने मंत्रियों को दिए छह मंत्र।
कुमार अनिल
जिस दिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की शपथ ली, उसी दिन से भाजपा के तमाम नेताओं ने एक माइंड गेम शुरू किया। इस गेम में भाजपा के पक्ष में गोदी मीडिया भी तुरत कूद पड़ा। कुछ घंटों में ही यह माइंड गेम गांव तक पहुंच गया। माइंड गेम के दो आयाम हैं। पहला, भाजपा और गोदी मीडिया ने कहना शुरू कर दिया कि लीजिए आ गया जंगल राज। इसका मतलब अपराध बढ़ने से है। दूसरा आयाम बयानों के जरिये नहीं, बल्कि बातचीत, कानाफूसी के जरिये तेज किया गया। वह था राजद के कोर सोशल बेस (मुख्य सामाजिक आधार) पर हमला। कहा जाने लगा कि अब उनकी मनमानी बढ़ेगी। सामंती व्यवहार दिखेगा। लाठी में तेल वालों का जमाना आ गया आदि-आदि।
भाजपा के इस माइंड गेम से तेजस्वी यादव गाफिल नहीं थे। वे जानते थे। इसीलिए उन्होंने सबसे पहले कहा कि कोई जश्न नहीं मनाना है। फिर दूसरे दिन कहा कि जो लोग बधाई देने आ रहे हैं, वे गुलदस्ता न लाएं, बल्कि किताबें लाएं। भाजपा के माइंड गेम का जवाब देते हुए बदलाव का संकेत दिया। अंग्रेजी में ट्वीट कर कहा कि किताब को सिर्फ उसके जिल्द से बिहारवासी न आंकें। लेकिन भाजपा के तीखे माइंड गेम के सामने तेजस्वी के इन सलाहों और इशारों को सुर्खियां नहीं मिलीं। भाजपा कार्यकर्ता पहले की तरह अपनी बात संगठित रूप से प्रचार करते रहे।
अब आज तेजस्वी यादव ने एक बड़ी लकीर खींच दी है। उन्होंने अपने मंत्रियों को छह मंत्र दिए, जो 17 साल पहले के राजद से बिल्कुल भिन्न और नया है। इन मंत्रों में भाजपा के माइंड गेम का जवाब निहित है। तेजस्वी ने भले ही ये मंत्र अपने मंत्रियों को दिए हैं, लेकिन जल्द ही इसे हर कार्यकर्ता के लिए आचार संहिता बनाने का प्रयास हो, तो आश्चर्य नहीं।
तेजस्वी के छह मंत्रों में पहला मंत्र है कोई मंत्री अपने लिए नई गाड़ी नहीं खरीदेंगे। आप समझिए, इसमें आर्थिक से ज्यादा वैचारिक संदेश हैं। क्या भाजपा नेतृत्व ने कभी अपने मंत्रियों को ऐसा आदेश दिया? इस सवाल का जवाब भाजपा नहीं दे पाएगी। यह सामंती विचारधारा के खिलाफ गांधीवादी लोकतांत्रिक संदेश है। जनता का पैसा सही जगह खर्च होना चाहिए।
दूसरा मंत्र है मंत्री किसी को अपना पैर न छूने दें। नमस्ते, सलाम करें। संदेश है कि बराबरी का व्यवहार करें। यहां भाजपा में व्यक्ति पूजा की संस्कृति का जवाब देते हुए उसे घेरने की कोशिश है। तीसरा मंत्र है किसी गरीब की समस्या पर प्राथमिकता के आधार पर पहले कार्रवाई करें। यह तंत्र को मानवीय बनाएगा। अधिकारियों पर भी इसका असर पड़ेगा। चौथा मंत्र है किसी से स्वागत में गुलदस्ता न लें, किताबें लें। यह भी नेताओं में पुरानी संस्कृति को अलविदा कह कर नई संस्कृति अपनाने पर जोर है। पांचवां मंत्र सक्रियता और पारदर्शिता पर है और छठा मंत्र भी विशेष है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहलकदमियों का प्रचार करें। क्या भाजपा ने अपने मंत्रियों से नीतीश को सम्मान देने, श्रेय देने की हिदायत दी थी? नहीं। यह आरजेडी-2 है, जो हर काम का श्रेय खुद लेने के बदले कह रहा है कि मुख्यमंत्री के कार्यों का प्रचार करें।
अंत में, इन मंत्रों में बहुत ताकत है। ये आरजेडी-2 की आधारशिला बन सकते हैं। हां, इन्हें जीवन में उतारना होगा।
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