इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
तेजस्वी यादव की #माई_बहिन_मान_योजना का व्यापक प्रभाव विरोधी नेताओं के सीने में नस्तर की तरह चूभने लगा है. महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये की राशि देने की योजना का जादू महिलाओं के सपनों को अभी से पंख देने लगा है.
हालत यह है कि इस प्रस्तावित योजना से ऐसा उत्साह है कि तेजस्वी भी लाहम लोट हैं. वह जहां भी कार्यकर्ता सह संवाद यात्रा में जा रहे हैं, महिलायें उमड़ रही हैं. अब तो स्थिति यह है कि कार्यक्रमों में महिलाओं की भीड़, पुरुषों को धकिया के सारी सीटों पर कब्जा जमा ले रही है.
इस उमड़ी भीड़ के कारण तेजस्वी ने अपने कार्यक्रम का नाम भी बदल दिया है. “कार्यकर्ता संवाद” का नाम अब “महिला संवाद” रख दिया गया है. कुछ सीधी-सादी महिलायें तो तेजस्वी को नौकरी मैन समझ कर उन्हीं से नौकरी की डिमांड करने लगी हैं.
उधर तेजस्वी की यह योजना, 2020 के दस लाख नौकरियों से भी ज्यादा सुपरहिट हो जाये तो अचरज नहीं. गत विधानसभा चुनाव में जब दस लाख नौकरियों का ऐलान तेजस्वी ने किया था तब युवाओं का सैलाब उनकी सभाओं में उमड़ पड़ा था. अब माई बिहन मान योजना उस से भी तीव्र गति से फेमस हो रही है.
इससे विरोधी नेताओं में घबराहट है. घबराहट का आलम यह है कि जदयू के नेता खिसाई बिल्ली की तरह खंभा नोचने लगे हैं. दूसरी तरफ बिहार की राजनीति के नये अवतरित धनकुबेर प्रशांत किशोर पांडेय तो, ठीक उस तरह मेमियाने लगे हैं जैसे 2020 में नीतीश गालीगलौज पर उतर आये थे. तब नीतीश कहा करते थे कि दस लाख लोगों को सैलरी देने के लिए पैसा क्या अपने बाप के पास से लायेगा?
कुछ ऐसी ही बात प्रशांत किशोर भाषाई रंगरोगन के साथ बोलने लगे हैं. प्रशांत कह रहे हैं कि ढ़ाई हजार रुपये देना बिहार में असंभव है.
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राष्ट्रीय अखबारों में अचानक क्यों तेज हुई तेजस्वी की चर्चा
भई जरा सोचिये, दस लाख लोगों को नौकरी देने की प्रक्रिया पूरी होने को है. सब को सैलरी मिल रही है. जब नीतीश एक प्रगति यात्रा के नाम पर अरबों रुपये की चायबाजी कर सकते हैं तो दो महिलाओं को ढाई हजार क्यों नहीं दिया जा सकता. तथ्य तो यह है कि तेजस्वी ने तो इस योजना की घोषणा से पहले ही धन की संभावनाओं का अध्ययन करवा लिया है ताकि वह अपने वादे को सच साबित कर सकें।