Tejashwi ने JDU के तीर से ही नीतीश का कंफिडेंस हिला दिया?
यह पहला अवसर है जब पंद्रह साल में नीतीश कैबिनेट का कोई मंत्री राजद में शामिल हो गया है. उद्योग मंत्री रहे श्याम रजक ने तेजस्वी( Tejashwi) के सामने राजद का दामन थाम लिया. इस तरह तेजस्वी ने जदयू के तीर से ही नीतीश पर वार करके बिहार के भविष्य की राजनीति को नयी दिशा दे दी है.
रजक का RJD में शामिल होना JDU का सर चकराने वाला क्यों ?
श्याम रजक कैबिनेट मंत्रीथे. पिछले पंद्र वर्षों के बिहार की राजनीति में यह पहली बार हुआ है कि नीतीश के सिपहसालारों में से किसी ने जदयू छोड़ा हो.
तेजस्वी दोहरा रहे हैं इतिहास
2005 में जब नीतीश कुमार ने बिहार की सत्ता संभाली थी तो राजद के अनेक कद्दावर नेताओं को एक एक कर नीतीश कुमार ने अपने पाले में कर लिया था. श्याम रजक भी उनमें से एक थे. रजक ने 2009 में राजद छोड़ा और 2010 में नीतीश काबीना में मंत्री बन गये थे. वैसे सत्ता में रहने वाली पार्टी के लिए यह आसान भी होता है कि वह सत्ता का लालच दे कर विपक्षी नेताओं को अपने पाले में कर ले. लेकिन तेजस्वी तो नीतीश से एक कदम आगे निकल गये. उन्होंने नीतीश के मंत्री को ही अपने पाले में कर लिया. आज जब तेजस्वी ने, रजक को अपनी पार्टी की सदस्यता दिलाई तो कहा भी- नीतीश के मंत्रियों को ही जब नीतीश पर से भरोसा उठ गया है तो और बाकी क्या रह गया है. उन्होंने जदयू के सहयोगी लोजपा के नेता चिराग पासवान का भी नाम लिया और कहा कि चिराग से मिलने की भी फुरस्त नहीं नीतीश जी को.
श्याम रजक का राजद में लौटना जहां राजद के जनाधार के बढ़ते जाने का प्रतीक है वहीं एक दलित चेहरा का नीतीश को छोड़ना एक मनोवैज्ञानिक संकेत भी देता है. इससे पहले श्याम रजक ने जदयू से अलग होते हुए कहा भी कि जिस पार्टी में सामाजिक न्याय की हत्या होती हो, वहां वह नहीं रह सकते. रजक का यह कथन साफ है कि सामाजिक न्याय की धारा को वह मजबूत करने के लिए राजद में आये हैं.
श्याम रजक का राजद में वापसी करना एक बात को लगभग सुनिश्चित कर देगा कि वह फुलवारी विधान सभा से आसानी से जीत हासिल करेंगे. फुलवारी एक सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र है. और यहां मुसलमान वोटरों की भारी संख्या है. सीएए पर जदयू के रवैये से मुसलमान पहले से ही खफा हैं. फुलवारी विधानसभा क्षेत्र के शहरी इलाकों में अल्पसंख्यक 57 प्रतिशत के करीब है. साथ ही इस क्षेत्र में दलित वोटर्स भी काफी संख्या में हैं. रजक इस बात को पहले ही भांप चुके हैं कि एनडीए के दलित विरोधी रवैये से दलित वोटर्स भी जदयू-भाजपा से नाराज हैं.
श्याम रजक के राजद में शामलि होने का एक दूसरा लाभ भी राजद को मिलेगा. अगर जीतन राम मांझी महागठबंधन छोड़ते हैं तो राजद के पास एक एक सशक्त दलित चेहरा श्याम रजक के रूप में होगा. श्याम रजक की पकड़ दलितो वोटर्स पर अच्छी है.