तेजस्वी पर 307, खुद गिरफ्तारी देने थाने जाएंगे तेजस्वी !

विधायकों को पीटनेवाले पर मुकदमा नहीं हुआ, लेकिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पर धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज हो गया है। खुद गिरफ्तारी देने जाएंगे तेजस्वी!

शनिवार को असम में महागठबंधन के समर्थन में सभा करते तेजस्वी यादव

चार दिन पहले 23 मार्च को रोजगार और महंगाई के सवाल पर प्रदर्शन के दौरान तेजस्वी यादव पर पत्थर चले थे। यह बात खुद तेजस्वी ने कही थी। विपक्ष के नेता पर हमले के मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हां, उस दिन प्रदर्शन में हुए हंगामे के सिलसिले में पुलिस ने तेजस्वी यादव पर एफआईआर जरूर दर्ज कर दी है, वह भी धारा-307 के तहत। धारा 307 का अर्थ है हत्या की कोशिश।

किसी के लिए भी यह याद करना मुश्किल है कि पिछले वर्षों में कब किसी नेता के खिलाफ राजनीतिक प्रदर्शन में भाग लेने पर धारा-307 लगाई गई थी। आम तौर से राजनीतिक प्रदर्शनों में गैर जमानती धाराएं ही लगाई जाती हैं, लेकिन जिस प्रकार तेजस्वी पर धारा 307 लगाई गई है, इससे स्पष्ट है कि सरकार उन्हें गिरफ्तार करने का मन बना रही है।

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तेजस्वी यादव जिस तरह लगातार नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, उससे लगता नहीं कि वे धारा 307 के तहत गिरफ्तारी से पीछे हटेंगे। ज्यादा उम्मीद इसी बात की लगाई जा रही है कि तेजस्वी खुद ही थाने पहुंचकर कहेंगे कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

अगर तेजस्वी खुद ही गिरफ्तार देने थाने पहुंचते हैं, तो यह बड़ा राजनीतिक मामला बन जाएगा। अब तेजस्वी के खिलाफ धारा 307 लगाने को किस तरह पुलिस तर्कसंगत और तथ्यपरक बनाती है, यह देखना होगा। क्योंकि अगर तथ्य मजबूत नहीं हुए, तो कोर्ट में मामले का टिकना मुश्किल होगा। ज्यादा उम्मीद है कि तेजस्वी धारा 307 के तकनीकी पहलुओं पर माथा-पच्चा करने के बजाय इसे भी नीतीश राज को पुलिस राज साबित करने के लिए राजनीति मुद्दा बना दें।

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राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने राज्य सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या कमाल है। तेजस्वी पर ही पत्थर फेंका गया, और उन्हीं पर हत्या की कोशिश का मुकदमा भी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव सहित राजद नेताओं पर हत्या करने का प्रयास (धारा307) का माला दर्ज करना राजनीतिक मर्यादा तोड़ना है। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होते रहे हैं। आज जो सरकार में हैं, वे भी प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं, लेकिन कभी इसके लिए कोई सरकार धारा 307 नहीं लगाती। सरकार हताशा में विवेक भूल गई है।

By Editor


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