हार कर भी जीते तेजस्वी, कर दिया एजेंडा सेट

हार कर भी जीते तेजस्वी, कर दिया एजेंडा सेट। नौकरी देने पर खूब बोले। ओपीएस सहित आम जनता के वास्तविक मुद्दों को चर्चा के केंद्र में लाने में रहे कामयाब।

बिहार की नीतीश सरकार के विश्वास मत के खिलाफ सोमवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जम कर बोले। भले ही विश्वास मत किसी तरह सरकार को मिल गया, लेकिन तेजस्वी यादव ने बिहार की सियासत को अपने एजेंडे पर ला दिया। यह उनकी बड़ी कामयाबी रही और हार कर भी सत्ता के संघर्ष में जीत गए। तेजस्वी यादव विधानसभा में अपनी नौकरी वाली सरकार पर खूब बोले। कहा कि पहले राज्य में एनडीए सरकार थी, लेकिन प्रदेश में युवाओं को नौकरी नहीं मिलती थी। जब वे सत्ता में आए, उनके दल के पास शिक्षा विभाग था, तो 70 दिनों में चार लाख शिक्षकों की नियुक्ति हुई। वे क्यों नहीं इसका श्रेय लेंगे। विधानसभा में ध्वनि मत से विश्वास मत पारित कर दिया गाय़ राजद सदस्यों ने वॉक आउट किया।

तेजस्वी यादव अपने पूरे भाषण में कभी उत्तेजित नहीं हुए। शांति से अपने एजेंडे पर बोलते रहे। जनता के वास्तविक मुद्दों पर बात रखी। ओपीएस का मुद्दा उठाया। बिहार को विशेष पैकेज तथा विशेष राज्य के दर्जे पर बोले। कहा कि अब तो डबल इंजन की सरकार है। आप बिहार को विशेष पैकेज दिलाइए।

तेजस्वी यादव ने उन सदस्यों के प्रति भी नरमी दिखाई जो उनका दल छोड़ कर भाजपा के साथ हो गए हैं। चेतन आनंद पर कहा कि जब चारों तरफ से ये थक गए थे, तब हमने टिकट देकर जिताया। हमारी कोशिश थी कि बिहार की राजनीति में युवा आगे आएं। बिहार का थका हुआ नेतृत्व नहीं चाहिए। युवा नेतृत्व चाहिए। इसीलिए मैंने इन्हें टिकट भी दिया था। नीलम देवी के पाला बदलने पर कहा कि आप महिला है, आपने जो निर्णय लिया, उनका स्वागत करता हूं। तेजस्वी यादव ने दरअसल इस अवसर को लोकसभा चुनाव के लिए मंच बना दिया। जनता के मुद्दों को केंद्र में रखते हुए पूरी बात कही। उधर भाजपा और जदयू के नेता ऐसा कोई एजेंडा सेट नहीं कर पाए।

भले ही नीतीश सरकार ने अपना बहुमत साबित कर दिया, लेकिन प्रदेश की जनता देखा कि किस प्रकार तेजस्वी यादव के कारण भाजपा नेतृत्व और नीतीश कुमार लगातर डरे रहे। पहली बार भाजपा विधायकों को पटना से बोधगया भेजा गया। फिर वहां से सारे विधायक एकसाथ लौटे।

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