पहली बार तेजस्वी बोले विधानसभा चुनाव भी कराना चाहते हैं नीतीश
पहली बार तेजस्वी बोले विधानसभा चुनाव भी कराना चाहते हैं नीतीश। पटना के राजनीतिक गलियारे में भी चर्चा। 25 दिन बीत चुके, मंत्रिमंडल का विस्तार तक नहीं।
पटना के राजनीतिक गलियारे में कई दिनों से चर्चा है कि नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ जा रहे थे तब दोनों में सहमति बनी थी कि बिहार विधानसभा को भंग किया जाएगा। विस भंग करके लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार विधानसभा का चुनाव भी कराया जाएगा। अब पहली बार विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपनी जन विश्वास यात्रा के दौरान सभा में यह बात कही। इसके बाद राजनीति गरमा गई।
पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश जी NDA से गठबंधन डील के तहत विधानसभा भंग करना चाहते हैं। लगभग एक महीना होने वाला है लेकिन बिहार में कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ है। BJP-JDU में अविश्वास की खाई चौड़ी हो चुकी है। 3 नंबर की पार्टी के मुखिया द्वारा विगत 3 साल में 3 बार शपथ लेने के कारण बिहार में अब शासन नाम की कोई चीज नहीं है। सरकार में सब कोई और सब कुछ बेलगाम है।
नीतीश जी NDA से गठबंधन डील के तहत विधानसभा भंग करना चाहते है। लगभग एक महीना होने वाला है लेकिन बिहार में कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ है। BJP-JDU में अविश्वास की खाई चौड़ी हो चुकी है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 21, 2024
3 नंबर की पार्टी के मुखिया द्वारा विगत 3 साल में 3 बार शपथ लेने के कारण बिहार में अब शासन नाम की… pic.twitter.com/KAjJjLVns0
दरअसल नीतीश कुमार अपनी पार्टी के तीसरे नंबर पर होने के कारण परेशान हैं। वे भाजपा से हमेशा दबाव में रहेंगे। वे चाहते हैं कि साथ-साथ विधानसभा चुनाव हो और अपनी पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ाएं। इधर भाजपा खेमे से जानकारी मिल रही जानकारी के अनुसार पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराने को इच्छुक नहीं है। कई मान रहे हैं कि भाजपा ने नीतीश कुमार के साथ खेला कर दिया है। लोकसभा चुनाव में जदयू की सीटें कम होंगी, यह भी चर्चा है। 2019 में जदयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भाजपा भी 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। अब लोकसभा चुनाव में नीतीश की सीटें कम होंगी, तो विधानसभा चुनाव में क्या होगा, यह सवाल भी उठने लगा है।
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि नई सरकार बनने के बाद 25 दिन बीत चुके हैं, लेकिन नीतीश कुमार अब तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पाए हैं। इससे सरकारी कार्य बाधित होते हैं। सरकार के निर्णय लेने में देरी होती है। सवाल है कि नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का विस्तार क्यों नहीं कर रहे हैं, क्या वे भाजपा पर कथित डील को पूरा करने की दबाव बना रहे हैं। और अगर भाजपा ने लोकसभा चुनाव के साथ बिहार विधानसभा का चुनाव नहीं कराया, तब नीतीश कुमार क्या करेंगे, क्या वे एक बार फिर पलटी मारेंगे?
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