द गार्डियन ने कहा, भारत जीता-जागता नर्क, गिनाए मोदी मिस्टेक्स

दिमाग पर जोर डालिए। पिछले साल ही मार्च में किसने कहा था सुनामी आ रही है। तब लोगों ने मजाक में उड़ा दिया था। अब द गार्डियन ने कहा- भारत जीता-जागता नर्क।

पिछले साल मार्च में राहुल गांधी ने मोदी सरकार को चेताया था कि सुनामी आ रही है। तब भाजपा के मंत्री तक ने उनका मजाक उड़ाया था। पता नहीं, आप पाठकों ने कितनी गंभीरता से लिया था। अभी-अभी पीटीआई की खबर के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस संकट को सुनामी कहा है।

आज फिर राहुल ने चेताया है कि PR व अनावश्यक प्रॉजेक्ट पर खर्च करने की बजाए वैक्सीन, ऑक्सीजन व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान दें। आने वाले दिनों में ये संकट और भी गहराएगा। वर्तमान दुर्दशा असहनीय है!

क्या कहता है द गार्डियन का संपादकीय

उधर, ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने अबतक कि सबसे मारक संपादकीय लिखी है- इंडिया इज नाऊ इन ए लिविंग हेल। हिंदी में आप भारत बना जीता-जागता नर्क कह सकते हैं। अखबार ने मोदी की बंगाल रैली की तस्वीर लगाई है, जिसमें वे भीड़ से खुश दोनों हाथ सामने फैला कर खुशी का इजहार कर रहे हैं।

पिछले साल कह रहे थे तबलीगी जिम्मेदार, अब कह रहे प्रकृति

संपादकीय की शुरुआत कड़े शब्दों से होती है। अखबार लिखता है- इस हफ्ते भारत में राजनीतिक घमंड का सामना महामारी की वास्तविकता से हुआ। मार्च के शुरू में नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार ने दावा किया था कि देश में कोविड-19 समाप्ति के दौर ( endgame) में है। वही भारत आज जीता-जागता नर्क बन गया है। डबल म्यूटेंट वेरिएंट जिसे B.1.617 कहा जा रहा है, वह कोरोना वायरस की दूसरी विनाशकारी लहर बनकर आई है। अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है, बेड तक नहीं है। शवगृह तक भर गए हैं। शवों से दुर्गंध आ रही है। शुक्रवार को भारत में 3.32 लाख से ज्यादा नए केस आए। यह दुनिया में सर्वाधिक है।

बताओ, कौन रोक रहा आक्सीजन, फांसी पर लटका देंगे : हाईकोर्ट

कई देशों ने भारत से हवाई यात्रा प्रतिबंधित कर दी है या अपने नागरिकों को भारत की यात्रा से बचने की सलाह दी है। भारत में अबतक बहुत कम आबादी को वैक्सीन दी गई है। इसके बावजूद मोदी ने ‘भारत को दुनिया की दवा दुकान’ ( वर्ल्ड्स फार्मेसी) करार दिया था। कहा था कि कोरोना से पहले का जीवन जल्द हो जाएगा।

फिर तो क्रिकेट के मैच होने लगे, जिसमें हजारों लोग गए, कुंभ मेले में हजारों हिंदुओं ने स्नान किया।

अखबार लिखता है कि ट्रंप की तरह मोदी भी महामारी के बावजूद चुनाव प्रचार में लगे रहे। भारत में पांच राज्यों में चुनाव हुए। बिना मास्क के मोदी हजारों की भीड़ को संबोधित करते रहे। मुख्यत: वैक्सीन उत्पादन करने के कारण महान राष्ट्र के दावे के बीच कोई तैयारी नहीं की गई। आज भारत से ज्यादा चीन और अमेरिका वैक्सीन का उत्पादन कर रहे हैं।

द गार्डियन ने प्रधानमंत्री मोदी के ओवर कंफिडेंस की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी के मंत्री कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री की सलाहों पर बिफर पड़े। अपने नाटकीय अंदाज में मोदी ने पिछले साल पूरे देश को अचनक निरंकुश लॉकडाउन में धकेल दिया।

पहले दौर में भारत के शहरों पर ज्यादा असर पड़ा, लेकिन इस दूसरी लहर में गांव भी चपेट में आ रहे हैं। भारत में मौतों को कम किया जा सकता था, लेकिन किसी की न सुनने और अक्षमता के कारण संकट बढ़ रहा है।

अब मोदी ने अपनी विफलता छिपाने के लिए राज्यों को जिम्मेदार बताया है। उन्हें अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए, प्रतिबंधों को लेकर विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए और अपनी संकार्णता छोड़ना चाहिए, जो लोगों में दूरी पैदा करता है, जबकि आज नागरिकों की एकता की जरूरत है।

By Editor


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