TheKashmirFiles फिल्म देखने के लिए क्यों चला रहे अभियान
मध्य प्रदेश सरकार ने इस फिल्म को देखने के लिए कर्मियों को एक दिन का अवकाश देने की घोषणा कर दी है। भाजपा समर्थक इस फिल्म के लिए इतना प्रचार क्यों कर रहे।
आज सोशल मीडिया पर #TheKashmirFiles पहले नंबर पर ट्रेंड कर रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस फिल्म को देखने के लिए एक दिन की छुट्टी देने की घोषणा कर दी है। भाजपा समर्थक इस फिल्म के प्रचार में लगे हैं। इसी के साथ सोशल मीडिया पर गद्दार भी ट्रेंड कर रहा है। पूरा सोशल मीडिया अक खास वर्ग के खिलाफ नफरत भरे मैसेज से फिर भर गया है।
इंद्रजीत बराक ने ट्वीट किया- कश्मीर फाइल देखो, आंसू टपकाओ, बीजेपी को वोट दो, मुसलमानों से बदला लो, साथ में नफरत भी करनी है? …. किसान आन्दोलन में बॉर्डर पर जान गंवाने वाले 750 किसानों की फाइल कोई नहीं देखना चाहता??
कश्मीर और कश्मीरी पंडिच पुस्तक लिख चुके लेखक अशोक कुमार पांडेय कल इसी विषय पर विस्तृत जानकारी देंगे। चैनल का लिंक है- https://youtube.com/c/AshokSpeaks । यहां आप वास्तविक जानकारी पा सकेंगे। उनके ट्विटर हैंडल पर भी आप कश्मीर से जुड़े कई तथ्य पा सकते हैं।
अर्जुन महर ने ट्वीट किया-जिन निर्देशकों और कलाकारों को बस्तर का आदिवासी “नक्सली” नज़र आता है, उन्हें मुस्लिम “आतंकवादी” ही नज़र आएँगे..! #TheKashmirFiles में RSS का एजेंडा सेट है..! JNU और वामपंथी छात्र संगठनों की छवि को धूमिल किया गया है..! कश्मीरी पंडितों के नाम पर झूठ और नफ़रत को परोसा गया है..!
कई लोगों ने पूछा है कि आज जो लोग इस फिल्म को देखने का प्रचार कर रहे हैं वे जयभीम पर चुप क्यों थे। एक सैनिक की पत्नी ने इस फिल्म की कहानी को झूठा कहा है।
#कश्मीर फ़िल्म 'कश्मीर फ़ाइलस' एक झूठी कहानी है इसको लेकर स्क्वाड्रन लीडर की पत्नी पहुची कोर्ट कहा कि पूरी फिल्म में कहानी को एकतरफा दिखाया गया है। #KashmirFiles https://t.co/ps8ozOJ6w7 pic.twitter.com/QeAmRhXmSz
— Shahin khan (@KhanGirl_123) March 13, 2022
कई लोगों ने याद दिलाया है कि तब केंद्र में भाजपा के सहयोग से जनता दल की सरकार थी। कई लोगों ने यह भी पूछा है कि उसके बाद से 14 वर्षों तक केंद्र में भाजपा की सरकार रही। उसने क्या किया? जबकि इस दौरान कश्मीरी पंडित लगातार धपना-प्रदर्शन करते रहे हैं। लेखक अशोक पांडेय ने कश्मीरी पंडितों के धरने की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा-कुछ वक़्त पहले कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडित अपनी कुछ माँगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे। मैंने लेख लिखा, कई लोगों से बात की। लेकिन नेशनल कॉन्फ़्रेन्स के अलावा कोई आगे नहीं आया।
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