‘कुर्बानी यानी त्याग की भावना के बिना कोई व्यक्ति, समूह, समाज या देश तरक्की नहीं कर सकता। त्याग की भावना हर जगह दिखाई देनी चाहिए।’ जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने रविवार को राजधानी स्थित मुख्यालय में बकरीद के अवसर पर आयोजित ईद मिलन समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
मौलाना रिजवान अहमद ने कहा कि सिर्फ जानवर की गर्दन पर छुरी चलाना कुर्बानी नहीं है। कुर्बानी का असल उद्देश्य सोच-विचार को बदलना है। कुर्बानी का फलसफा ये है कि हम अल्लाह की मर्जी के मुताबिक जान-माल, समय, योग्यता हर तरह की कुर्बानी हर वक्त देने के लिए तैयार रहें। उन्हांेंने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सदियों से विभिन्न धर्मों के लोग रहते आ रहे हैं। यहां साम्प्रदायिक सौहार्द्र है। साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि हम सुनी-सुनाई बातों पर अमल करने की बजाय एक-दूसरे को पढ़ें, समझें और किसी भी धर्म के बारे में उसकी शिक्षा की बुनियादी बातों को जानें।
स्थानीय वार्ड पार्षद बैजू लाल दास ने इस अवसर पर कुर्बानी के इतिहास पर प्रकाश डाला और कहा कि तमाम लोगों को अपने व्यवहारिक जीवन में त्याग की भावना का प्रदर्शन करना चाहिए। शिक्षाविद् डॉ. ध्रुव कुमार ने बताया कि किस तरह उनकी बहन और बहन की मुस्लिम सहेली के बीच साम्प्रदायिक सौहार्द्र और मैत्रीपूर्ण संबंध थे। उन्होंने कहा कि ऐसे संबंधों को और मजबूत करने की जरूरत है।
रविशंकर पाण्डेय ने कहा कि प्रेम से बढ़कर इस दुनिया में कोई चीज नहीं है। ईद मिलन जैसा समारोह प्रेम और आपसी मेल-मुहब्बत को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सद्भावना मंच के सदस्य दुर्गाकांत झा ने इस्लाम की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम सबको इस्लाम के साथ-साथ तमाम धर्मों के बारे में जानने की जरूरत है। इससे गलतफहमियां दूर होंगी। दलित नेता अमर आजाद पासवान ने कहा कि भारत का संविधान आपसी भाईचारे, सामाजिक न्याय और समानता पर जोर देता है। हमें संविधान के अनुरूप व्यवहार करना चाहिए।
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इससे पूर्व प्रारंभिक संबोधन में जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के कम्युनल हार्मनी के सचिव मोहम्मद शहजाद ने कहा कि ईद मिलन समारोह के आयोजन का उद्देश्य साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देना है। उन्होंने जमाअते इस्लामी का परिचय कराते हुए कहा कि यह देशव्यापी ऐसी संस्था है जो सेवा और मूल्यों को ध्यान में रखते हुए काम करती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नसीम अखतर ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन मौलाना गुलाम सरवर नदवी ने किया।
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