उग्र हिंदुत्व से डरे अखिलेश व मायावती, राहुल ने दिखाया साहस
गाजियाबाद में एक मुस्लिम बुजुर्ग को पीटने, उनकी धार्मिक पहचान पर हमला करने के बाद भी अखिलेश व मायावती चुप हैं। राहुल ने किया विरोध।
कुमार अनिल
लंबे समय तक देश के प्रमुख विरोधी दल इस बात से डरते रहे कि मुस्लिमों पर अत्याचार का विरोध करने से भाजपा उन्हें मुसलमानों की पार्टी कहेगी। लेकिन अब समय बदल रहा है। भाजपा ने बंगाल चुनाव में बार-बार ममता बनर्जी को बेगम कहकर उनपर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया, लेकिन परिणाम सामने हैं।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक बुजुर्ग मुस्लिम अब्दुल समद सैफी को पीटने, उनकी दाढ़ी काट देने का वीडियो वायरल होने के बाद देशभर में इसका विरोध हो रहा है, पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने खबर लिखे जाने तक कोई ट्वीट नहीं किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चुप हैं। उनकी पार्टी सीएए विरोधी आंदोलन में भी चुप रही। दिल्ली दंगों के बाद भी वह मुखर नहीं दिखी।
इस मामले में राहुल गांधी ने ट्वीट किया-मैं ये मानने को तैयार नहीं हूं कि श्रीराम के सच्चे भक्त ऐसा कर सकते हैं। ऐसी क्रूरता मानवता से कोसों दूर है और समाज व धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है। उन्होंने ट्वीट के साथ वह खबर भी शेयर की है, जिसमें बुजुर्ग मुस्लिम को पीटने की बात छपी है।
2019 चुनाव से पहले भाजपा के बड़े नेता कांग्रेस पर मुस्लिम पार्टी होने का आरोप लगा रहे थे। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जुलाई को आजमगढ़ के एक कार्यक्रम में कहा था कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है। दरअसल एक उर्दू अखबार में इसी शीर्षक से खबर छपी थी, जिसे भाजपा ने बड़ा मुद्दा बना दिया था। इसके बाद ही अनेक लोगों ने कहना शुरू किया कि मुस्लिम मामले पर विरोधी नेता बचकर बोलें।
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जबकि वास्तव में बात कुछ और थी। राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से बात करते हुए सच्चर कमीशन की रिपोर्ट का हवाला दिया। कहा कि भाजपा वाले कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी कहते हैं। हां, कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। कांग्रेस पीछे छूट गए सभी लोगों के साथ है। मुसलमान भी विकास में पीछे छूट गए हैं। हम उनके साथ भी हैं। आल्ट न्यूज सहित कई फैक्ट चेक करनेवाली वेबसाइटों ने सच्चाई सामने लाई, पर नेशनल मीडिया में भाजपा के आरोप ही गूंजते रहे। राहुल को शहजादा भी इसी मकसद से कहा जाता रहा, ताकि लोग कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी समझें।
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लेकिन अब वक्त बदल रहा है। भाजपा ने अपना पुराना आजमाया तरीका अपनाते हुए बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी को बार-बार बेगम कहा, लेकिन वह इस बार ममता को मुस्लिम नेता साबित करने में विफल रही।