यूनियन बैंक औफ़ इंडिया की गृह–पत्रिका‘यूनियन पाटलिपुत्र‘का किया गया विमोचन
पटना,२८ जून। साहित्य और समाचारों के माध्यम से समाज के लिए व्यापक योगदान की दृष्टि से लघु पत्रिकाओं का मूल्य कम नहीं है। बल्कि अनेक स्थलों पर ये पत्रिकाएँ, अधिक प्रसार वाली पत्रिकाओं और पत्रों की दृष्टि से छूटे विषयों को भी सामने लाने में अग्रणी सिद्ध होती हैं। ये केवल सूचनाएँ हीं नहीं देतीं,साहित्य और पत्रकारिता के नव–अंकुरों को प्रोत्साहित और प्रेरित करती हैं। इस दृष्टि से जो काम लघु–पत्रिकाएँ कर जाती है, वह बड़ी पत्रिकाएँ नहीं कर पातीं। इसलिए इन छोटे–छोटे किंतु महनीय प्रयासों की सराहना और सहायता की जानी चाहिए ।
गृह–ई–पत्रिका‘यूनियन
यह बातें शुक्रवार को, यूनियन बैंक औफ़ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय में बैंक की गृह–ई–पत्रिका‘यूनियन पाटलिपुत्र‘का लोकार्पण करते हुए,बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, इंटरनेट के इस युग में, ई–पत्रिका का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है। अब पत्रिका को साथ ढोने और पृष्ठों को पलटने की आवश्यकता नहीं। मोबाइल फ़ोन पर, नेट के ज़रिए सब उपलब्ध है। आपको बस खोलना है।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, पत्रिका के संपादक डा विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि, बैंक की गृह–पत्रिका पूर्व में ‘यूनियन बिहार‘नाम से प्रकाशित हुआ करती थी,जो कतिपय कारणों से बंद हो गई। अब यह‘पाटलिपुत्र‘ के गौरवशाली इतिहास को स्मरण दिलाने वाले नाम से नियमित प्रकाशित हुआ करेगी। पत्रिका में बिहार की महिमा की प्रतिष्ठा में श्री–वृद्धि करने वाले अनेक आलेख और सारस्वत काव्य–रचनाओं को पर्याप्त स्थान दिया गया है।
बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रमुख तथा उप महाप्रबंधक जी बी पाण्डेय, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अर्थ मंत्री और साहित्यकार योगेन्द्र प्रसाद मिश्र,सहायक महाप्रबंधक शैलेंद्र कुमार, मुख्य प्रबंधक एच के जेना तथा संतोष कुमार खाँ ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद–ज्ञापन पत्रिका के सहायक संपादक विवेक कुमार ने किया। इस अवसर पर,विदुषी कवयित्रियों और साहित्यकारों समेत बड़ी संख्या में बैक के अधिकारी और कर्मीगण उपस्थित थे।