हर तरफ नीतीश के खिलाफ साजिश हुई लेकिन पिछड़े मुस्लिम उनके साथ खड़े थे:मुस्लिम मोर्चा
युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रवक्ता कमाल अशरफ राईन ने आज पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले चुनाव में जब सारा माहौल मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के खिलाफ बना दिया गया ऐसी स्थिति में भी अत्यंत पिछड़े, महिलाएं एवं कमजोर वर्गों के मुसलमान खामोशी से श्री नीतीश कुमार के साथ रहें और उन्हें दुबारा मुख्यमंत्री बनाने में सफल हुए।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में घेराबंदी की गई थी, और साजिशें रची गई थी इस विकट परिस्थिति में भी मोर्चा पूरी इमानदारी व कर्मठता के साथ इन्हें जीताने में डटा हुआ था।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण दिक्कतें हुईं वरना और भी सीटें जदयू को मिलती। श्री अशरफ ने कहा कि जदयू भी अपनी हार की समीक्षा कर रहा है. उसे उन मुस्लिम नेताओं से भी पूछना चाहिए कि जिसे एम पी, एम एल ए, एम एल सी, चेयरमैन आदि बनाया गया उन्होंने मुसलमानों के बीच कितना काम किया. जवाबदेही उनलोगो की भी है जिन्हें पिछड़ा, अत्यंत पिछड़ा, दलित,जेनरल आदि के नाम पर सत्ता में हिस्सेदारी मिली उनके समाज का वोट कहा है।
श्री अशरफ ने कहा कि बहुसंख्यक समाज में संघी और अल्पसंख्यक समुदाय में शंकी किस्म के लोग हैं जो समझते कम और उछलते ज्यादा है। उन्होंने कहा कि CAA भारतीय मुसलमानों का मसला नहीं यह भाजपा का मसाला है। श्री अशरफ ने कहा युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा की मांग है कि संविधान की धारा 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाने के लिए 1950 का राष्ट्रपति अध्यादेश वापस लिया जाए। 49.5% आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 80% किया जाए। निजी क्षेत्रों एवं न्याय पालिका में पिछड़ों, अत्यंत पिछड़ों, दलितों एवं आदिवासियों को आरक्षण दिया जाए एवं (4) 2021 की जनगणना जातिय आधार पर किया जाए, इसके लिए 1948 के कानून में संशोधन किया जाए।
शूद्र एकता सम्मेलन का होगा आयोजन
ज्ञात हो कि 1931 के ब्रीटीश शासनकाल में पहला जनगणना जातिय आधार पर किया गया, 1941 में जनगणना हुआ ही नहीं और1951 का जनगणना होने से पहले 1948 में ही जातिय कौलम को हटा दिया गया तबसे प्रत्येक 10 वर्षों पर होने वाले जनगणना से जातिय कौलम समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि इन मांगों की पूर्ति के लिए मोर्चा शीघ्र ही आन्दोलन तेज करेगा और जल्द ही पिछड़े, अत्यंत पिछड़े, दलितों, महिलाओं एवं कमजोर वर्गों के मुसलमानों को जोड़कर मोर्चा” शुद्र एकता” सम्मेलन करेगा।
ज्ञात हो कि मोर्चा ने पहले भी शुद्र एकता सम्मेलन का आयोजन कर चुका है। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायवाद का जवाब समाजवाद से ही दिया जा सकता है और मोर्चा लोहिया,पैरियार, बाबा साहेब आंबेडकर, जगदेव प्रसाद, र्कपूरी ठाकुर और कांशीराम की विचारधारा पर ही काम करता है और उसी विचारधारा पर आगे भी काम करेगा। मोर्चा के महासचिव मो मुश्ताक आजाद ने कहा कि बिहार में समाजिक न्याय एवं समाजवाद के अकेले चेहरा इस समय मात्र श्री कुमार ही हैं, जिन्हें मजबूत रखने के लिए मोर्चा कोई कसर नहीं छोड़ेगा। प्रेस कांफ्रेंस में मो जमील अख्तर अंसारी,मो शमसाद एवं मो हसमद आदि भी मौजूद थे।