उपचुनाव : भीड़ के पैमाने पर जदयू पर भारी राजद, जीत किसकी?
बिहार में दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में भीड़ और जोश के पैमाने पर जदयू पर राजद भारी दिख रहा है। कन्हैया की सभा में भी ठीक-ठाक भीड़ दिखी। जीत किसकी?
कुमार अनिल
कुशेश्वरस्थान और तारापुर में जदयू और राजद के दिग्गज चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। दोनों दलों की सभाओं में जुट रही भीड़ और भीड़ के जोश को पैमाना माना जाए, तो राजद स्पष्ट तौर पर जदयू पर भारी दिख रहा है।
दोनों विधानसभा क्षेत्रों में राजद के लिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव धुआंधार प्रचार कर रहे हैं। उनकी सभाओं में हजारों की भीड़ दिख रही है। भीड़ भाषण के साथ कभी नारे लगाती है, कभी ताली पीटती है। लोग हाथ उठाकर समर्थन करते दिख रहे हैं।
उधर, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की सभाओं में अपेक्षाकृत कम लोग दिख रहे हैं। वह उत्साह भी नहीं दिख रहा, जो राजद की सभाओं में दिखता है। जदयू के लिए केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भी कई दिनों से जनसंपर्क कर रहे हैं। वे भी नुक्कड़ सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। उनकी सभाओं में लोग जुट रहे हैं, लेकिन वह बात नहीं, जो राजद की सभाओं में दिख रहा है।
हालांकि, दोनों की सभाओं में एक बात कॉमन है, वह कि दोनों दलों की सभाओं में गरीब-पिछड़े ही ज्यादा दिख रहे हैं।
आज तारापुर में कांग्रेस के लिए युवा नेता कन्हैया कुमार ने कई सभाएं कीं। उनकी सभाओं में भी भीड़ ठीक-ठाक थी। कांग्रेस ने जो तस्वीर ट्वीट की है, उसमें मध्यवर्ग के युवा ज्यादा दिख रहे हैं। वह गरीब वर्ग नहीं दिख रहा, जो राजद की सभाओं में दिख रहा है।
हालांकि, चुनाव में हमेशा भीड़ देखकर आप नहीं कह सकते कि चुनावी जीत किसकी होगी। जदयू-भाजपा की सभाओं में पहले भी भीड़ कम होती रही है। माना जाता रहा है कि जदूय-भाजपा का आधार सभाओं और रैलियों में उस तरह शामिल नहीं होता, जैसे राजद और वाम दलों के आधार वोट रैलियों में हिस्सा लेते हैं।
बड़ा सवाल यह है कि राजद की सभाओं में जुट रही भीड़ क्या वोट में तब्दील होगी? क्या जदयू-भाजपा का सामाजिक आधार सभाओं में ताकत दिखाए बिना वोट में ताकत दिखाएगा या उसका सामने नहीं आना उसकी उदासी का प्रमाण है? और क्या कन्हैया कुमार राजद और जदयू की लड़ाई को त्रिकोणात्मक बना पाएंगे?
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