नौकरशाही डॉट कॉम के ब्यूरो प्रमुख दीपक कुमार के इस EXCLUSSIVE खबर में पढ़िये कि नौकरी के लिए जहां लोग भटकते रहते हैं वहीं 500 से ज्यादा शिक्षिकाओं ने नौकरी क्यों छोड़ दी?
दीपक कुमार ठाकुर,ब्यूरो चीफ,बिहार
पटना:शिक्षिका बनने के लिए भले बिहार सरकार पचास फीसदी आरक्षण महिलाओं को दे रही हैं। शिक्षिका की नौकरी भी मिल जा रही हैं। लेकिन,नौकरी मिलने के बाद शिक्षिकाओं को नौकरी छोड़नी पड़ रही हैं।
इसकी वजह शिशु देखभाल के लिए छुट्टी नहीं मिलना बन रहा हैं। प्रदेश भर में अब तक सैकड़ों शिक्षिकाओं ने नौकरी इसलिए छोड़ दी,क्योकि उनके बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं था।
ज्ञात हो कि नियोजित शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश 135 दिन (लगभग साढ़े चार महीने) मिलता हैं। इसके अलावा नवजात शिशु देखभाल के लिए कोई अलग से छुट्टी नहीं दी जाती हैं। ऐसे में कई शिक्षिकाओं को नौकरी छोड़ना उनकी मजबूरी बन रही हैं। पिछले सात साल की बात करें तो पांच सौ से अधिक शिक्षिकाओं ने अपने शिशु की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ दी हैं।
– स्कूल से लेकर नियोजन ईकाई तक लगाई गुहार
शिक्षिका जूली कुमारी वृंदावन कन्या मध्य विद्यालय पश्चिम चंपारण में शिक्षिका थी। 2015 में मां बनने के बाद बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी नहीं मिलने के कारण जूली कुमारी को नौकरी छोड़नी पड़ी। कुछ ऐसा ही हाल बेलवा बनियादी विद्यालय बेतिया में शिक्षिका के रूप में कार्यरत अंतिमा कुमारी की हुई। टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक संघ के प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने बताया कि संघ की तरफ से इसको लेकर कई बार आवाज उठायी गयी हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में फिर गिड़गिड़ाई बिहार सरकार:”हुजूर पौने चार लाख शिक्षकों के लिए 36 हजार करोड़ हमारे पास नहीं हैं’
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जिन्हें जरूरत नहीं उन्हें मिलता शिशु देखभाल को दो साल अवकाश
प्रदेश में नियमित शिक्षिकाओं को 730 दिन यानी दो साल का शिशु देखभाल अवकाश दी जाती हैं। टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक संघ के अध्यक्ष मार्केण्डेय पाठक ने बताया कि अधिकतर नियमित शिक्षिका सेवानिवृत के कगार पर हैं। इन्हें इस अवकाश की जरूरत ही नहीं हैं। इसके अलावा नियमित शिक्षिकाओं को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलता हैं।
मामला हाई कोर्ट की शरण में भी पहुंच चुका
कई शिक्षिकाएं महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश में बढ़ोतरी और शिशु देखभाल के लिए छुट्टी दी जायें। इसके लिए कई शिक्षिका हाई कोर्ट के शरण में भी जा चुकी हैं। शिक्षिका सरला कुमारी ने बताया कि हाई कोर्ट में भी हमने इसको लेकर केस किया हैं। हाई कोर्ट ने सरकार ने इसका जबाव भी मांगा हैं। इसको लेकर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के प्रशासी पदाधिकारी सचिंद्र कुमार ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक को पत्र भी लिखा हैं।
केस : 1 –
शिक्षिका सुलेखा कुमारी का नियोजन 2014 में मघरा मध्य विद्यालय नालंदा में हुआ था। शादी होने के बाद बच्चे की तबीयत खराब होने के कारण सुलेखा कुमारी शिशु देखभाल के लिए छुट्टी चाहती थी। लेकिन नियोजित शिक्षिका को शिशु देखभाल की कोई छुट्टी नहीं दी जाती हैं। अंत में सुलेखा कुमारी को नौकरी छोड़नी पड़ी।
केस: 2 –
वृंदावन विद्यालय पश्चिम चंपारण में शुभलक्ष्मी कार्यरत हैं। आठ महीने के बच्चे की देखभाल के लिए कोई नहीं हैं। 135 दिन के मातृत्व अवकाश के बाद शुभलक्ष्मी को ज्वाइन करना पड़ा। शुभलक्ष्मी अभी बच्चे को पति के दुकान पर छोड़ कर स्कूल जाती हैं। अब शुभलक्ष्मी नौकरी छोड़ने की सोच रही हैं