एक फैक्ट चेक वेबसाइट ने गहन अध्ययन के बाद बताया है कि तबलीगी जमात के सदस्यों में कोरोना संक्रमण और इज्तमा के कारण इस बीमारी के फैलने की खबरों में झूठ का जम कर हवा दी गयी.
फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट BOOM ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट- “Fake News in The Time of Coronavirus: A BOOM Study” छापी है है.
इस अध्ययन रिपोर्ट को इंडियन एक्सप्रेस ने भी बड़े प्रमुखता से छापी है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी से ले कर मई के बीच ऐसी 178 खबरों की जांच की गयी है. इसमें बताया गया है कि इन तमाम खबरों में से कम से 35 प्रतिशत खबरें अफवाह पर आधारित थीं और उनका तथ्यों से कोई लेना देना नहीं था.
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BOOM ने यह स्टडी सोशल मीडिया के ट्रेंडिग खबरों, खबरों के लिए इस्तेमाल किये गये डेटा और अन्य स्रोतों के आधार पर की गयी है.
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इस अध्ययन में यह भी बता या गया है कि इस तरह की अफवाह की खबरों में 29.4 प्रतिशत खबरें ऐसी थी जो किसी सेलेब्रिटी की तस्वीर और उनके कथन से उद्धित की गयी थीं जो कि पूर्णरूप से असत्य थीं.
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काबिले जिक्र है कि मार्च और अप्रैल में तबलीगी जमात द्वारा दिल्ली में आयोजित इज्तेमा और जमातियों के बारे में दंगाई चिरत्र के मीडिया ने खबरों को कम्युनल ऐंगल दे कर जमात को बदनाम करने की साजिश रची थी. इसके बाद साफ तौर पर बताया जाता था कि जमातियों के कारण कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है. कई खबरों में तो यहां तक इल्जाम लगाया गया था कि जमाती जान बूझ कर कोरोना फैला रहे हैं. दंगाई मीडिया के एक हिस्से ने इसे कोरोना जिहाद तक कहना शुरू कर दिया था.
इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि जमातियों द्वारा डाक्टरों पर थूके जाने, इलाज में सहायता ना करने, और डाक्टरों पर हमले करने की खबरें भी झूठ पर आधारित थीं.
आप को बता दें कि मीडिया के एक हिस्से द्वारा जमातियों के बारे में इतना जहर फैलाया गया कि कई स्थानों पर मुस्लिम हाकरों को सब्जी बेचने पर पीटा जाने लगा था.